सावन तीज सभी को भाए

प्रिया देवांगन ‘प्रियू’ पंडरिया (छत्तीसगढ़) ************************************ सावन की ये तीज,सभी के मन को भाये।बनते घर पकवान,द्वार आँगन महकाये॥हरियाली चहुँओर,पुष्प की खुशबू आती।रंग-बिरंगे पात,सभी के मन को भाती॥ सज-धज नारी आज,मायके में वो जाती।सखी सहेली साथ,बैठ के बात बताती॥मिलकर बहना भ्रात,खूब मस्ती है करते।मम्मी-पापा साथ,घरों में खुशियाँ भरते॥ बाबा भोलेनाथ,भजन सब मिलकर गाते।सखी सहेली साथ,सभी मन्दिर … Read more

योद्धा हूँ मैं

आदर्श पाण्डेयमुम्बई (महाराष्ट्र)******************************** धर्म-युद्ध में योद्धा हूँ मैं,कर्म-युद्ध का रास्ता हूँ मैं। चाल मेरी शतरंज जैसी,ढाल मेरी तलवार है। मार्ग मेरे ऐसे खुलते हैं,जैसे सूरज-चाँद निकलते हैं। मैं दुनिया में ऐसे छाऊँ,जैसे बदल में तारे चमके। मैं हर घाट का पानी हूँ,बहता हुआ एक धारा हूँ। कोई कहे गंगा जल हूँ,कोई कहे बहता पानी। धर्म-युद्ध … Read more

आसमां व संध्या का मिलन

डाॅ. पूनम अरोराऊधम सिंह नगर(उत्तराखण्ड)************************************* आसमां ने संध्या को,नज़रों में भर लियागगन से उतर देखो,माधुर्य लुटा दिया।मांग में सिंदूर भर,आगोश में भर लियासिंदूर की छटा बिखेर,हृदय में बसा लिया।सिंदूरी आँचल ओढ़ा,जोगन बना दिया॥ परिचय–उत्तराखण्ड के जिले ऊधम सिंह नगर में डॉ. पूनम अरोरा स्थाई रुप से बसी हुई हैं। इनका जन्म २२ अगस्त १९६७ को … Read more

मंजिल

डॉ.विद्यासागर कापड़ी ‘सागर’पिथौरागढ़(उत्तराखण्ड)********************************** हमारे काम होने से,लगन की बात होती है,अगर हम सो गये मन से,वहीं तो रात होती है।राह में सब डराते हैं,सदा ही शूल,पाथर भी-निडर हो बढ़ गये हम तो,मंजिलें साथ होती हैं॥ परिचय-डॉ.विद्यासागर कापड़ी का सहित्यिक उपमान-सागर है। जन्म तारीख २४ अप्रैल १९६६ और जन्म स्थान-ग्राम सतगढ़ है। वर्तमान और स्थाई पता-जिला … Read more

हर आदमी को न्याय कैसे मिले ?

डॉ.वेदप्रताप वैदिकगुड़गांव (दिल्ली) ******************************* भारत के सर्वोच्च न्यायाधीश एन.वी. रमन ने भारत की न्याय-व्यवस्था के बारे में दो-टूक बात कह दी है। उन्होंने कहा कि भारत के पुलिस थानों में गिरफ्तार लोगों के साथ जैसी बदसलूकी की जाती है,वह न्याय नहीं,अन्याय है। वह न्याय का अपमान है। गरीब और अशिक्षित लोगों की कोई मदद नहीं करता। … Read more

श्मशान में भी दरिंदगी… कैसे कहाँ सुरक्षित

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)******************************************* यह बात बिलकुल सही है कि सरकारें प्रत्येक नागरिक के लिए सुरक्षा व्यवस्था नहीं कर सकती। कारण इतना विशाल देश,जहाँ आबादी का विस्फोट हो,वहाँ क्या कर सकती है। कोरोना संक्रमण काल में सरकार बेबस लाचार रही। कारण बुनियादी व्यवस्था का इन्तज़ाम,क्योंकि रोग का संक्रमण अचानक आ गया,जबकि दुनिया के बहुत पहले सचेत कर … Read more

मेघ तड़पाते मुझे

ममता तिवारीजांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** अपलक निहारूँ साजना मैं मोहिनी सूरत मगन,तेरी नजर मुझ पर पड़े मुखड़े छुपा देखूं सपन। कर साज कंगन मेंहदी श्रृंगार सब तेरे लिये,मैं लाज भारी पलक ढक हिय झलक में देखूं सजन। सुन तीज सावन में करूं शिव जी मनाती साजना,गजरे लगा वेणी सजा दे धार काजल की नयन। झूले लगा कर प्रेम … Read more

ख़ुद को समझाते हैं

डॉ. आशा मिश्रा ‘आस’मुंबई (महाराष्ट्र)******************************************* बचपन के वो सुनहरे दिन आज भी हमें रूलाते हैं।अब न जाने क्यों लोग हर क़दम पर आज़माते हैं। अदब थी हममें,जो हर किसी की बात सुन लेते थे,दोस्त इसे कमज़ोरी मान हम पर एहसान जताते हैं। जो भी हँस के मिला उसे अपना समझ प्यार किया,बेगाने ही अक्सर रिश्तों … Read more

मेरे शब्द बन जाते हैं मीत

डॉ. वंदना मिश्र ‘मोहिनी’इन्दौर(मध्यप्रदेश)************************************ मेरा हर शब्द मुझसे एक रिश्ता बनाता है,मेरे शब्द-कभी रूठते हैं,कभी मान जाते हैंकुछ शब्द हो जाते हैं-माँ जैसे कोमल,कुछ बन जाते हैं-पिता की भांति कठोर,गहन अर्थों से परिपूर्णकुछ बन मेरे सखा,संग-संग करते हैं अठखेलियाँ।कुछ बन जाते हैं,बचपन के मीत से,मासूमियत के गीत सेकुछ शब्द मन में,घर कर जाते हैं,यादों की … Read more

मैं हूँ मिथ्या

आशा आजाद`कृति`कोरबा (छत्तीसगढ़) ******************************************* संग चले नित झूठ दिखावा,मिथ्या नाम है।है घनिष्ठ निज छल से नाता,छलना काम है॥ भ्रमित जाल फैलाये रखती,ऐसी भावना,मनुज हृदय पर देती झूठी,मंगल कामना।दूर रहे मानव नित मुझसे,शुभ पैगाम है,संग चले नित झूठ दिखावा,मिथ्या नाम है…॥ बीच प्रेम के मैं घुस जाती,सुख निज लूटती,रिश्ते-नाते सब टूटे पर,कभी न टूटती।आँख मूँदकर जो … Read more