मित्रता

श्रीमती देवंती देवीधनबाद (झारखंड)******************************************* मित्रता की अजब कहानी है,थोड़ी-सी भी आहट पाकर दुख की घड़ी में मित्र तुरन्त चले जाते हैं।‘मित्र’ शब्द केवल नाम का नहीं है,मित्र ही तो हैं जो दु:ख की घड़ी में कहते हैं-मत घबराओ मित्र मैं हूॅ॑ ना,और हरदम रहूॅ॑गा साथ में,अपने-आपको अकेला मत समझना।मित्रता में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। … Read more

मेरा कसूर क्या है ?

आचार्य गोपाल जी ‘आजाद अकेला बरबीघा वाले’शेखपुरा(बिहार)********************************************* मेरे दिल में बसता है हिंद महान तो मेरा कसूर क्या है ?मुझे मेरे देश में दिखती है जन्नत तो मेरा कसूर क्या है ? नफरत के बीज बो रहे हैं दिन-रात राहगीर प्रेम के,मुझे दिखता है इंसान में इंसान तो मेरा कसूर क्या है ? दौलत से … Read more

द्वादश ज्योतिर्लिङ्ग स्तुति

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *************************************** सोमनाथ सौराष्ट्र में,करुणाकर अवतार।चारु चन्द्र धर शिखर शिव,गंगाधर संसार॥ उच्च शिखर श्रीशैल पर,प्रमुदित देव निवास।पूज्य मल्लिकार्जुन सदा,बाघम्बर कैलास॥ अकाल मरण रक्षक प्रभु,मोक्ष प्रदाता सन्त।महाकाल उज्जैन में,महिमा नमन अनंत॥ कावेरी नर्मद मिलन,पावन निर्मल धार।करुणाकर ओंकार जग,भवसागर हो पार॥ चिताभूमि पूर्वोत्तरी,सदा वास गिरिजेश।देवासुर पूजित सदा,बैद्यनाथ परमेश॥ कंठहार नागेश शिव, दक्षिण क्षेत्र … Read more

काज संवारो हे त्रिपुरारी

डॉ. गायत्री शर्मा’प्रीत’कोरबा(छत्तीसगढ़)******************************************* रचना शिल्प:शंकर छंद आधारित….. शिव भोला भंडारी शंभू,शीश गंगा धार।शिवा वास करें कैलाश पर,जगत के आधार॥ मुश्किल में है कलयुग भोले,कैसे धरूॅं ध्यान,कठिन हुआ है जीना अब तो,उपजे नहीं ज्ञान।इस त्रिभुवन में शिवा बड़े हैं,नमन बारंबार,शिव भोला भंडारी शंभू,शीश गंगा धार…॥ करें नहीं अब जप तप पूजा,बस नाम आधार,तेरे द्वारे पर हम … Read more

औरत

रेणू अग्रवालहैदराबाद(तेलंगाना)************************************ हम क्यों सहन करते हैं सब-कुछ,मन का नहीं मिलता है जब कुछ। दया हम दिखाते दया के पात्र बन जाते,लोग देवी कहकर हमको ही छल जाते। औरत ही ख़ुद को कमज़ोर बनाती है,चुप रहकर क्यों सबको समझाती है। शोर करो यूँ न चुप रहो आवाज़ उठाओ,तुम भी दिल रखती हो कभी ये जतलाओ। … Read more

मैं बालम सीधा-सा

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** भीगा-भीगा ये मौसममैं बालम सीधा-सा,सौंधी-सौंधी खुशबूरुख तेरा तीखा-सा। मचल रहे दो नयनाबाँहें खुली-खुली मेरी,भरुं मैं इनमें कैसेमैं बालम सीधा-सा। महक रही तू चंदन सीसंकदन-सा प्यार मेरा,ठहरे-ठहरे कदमों मेंभर दो ना रफ्तार जरा। पिघल जाऊं बन मोममेघ-सा दो ताप जरा,ज़रा-ज़रा बूंदों-सा बरसोबन माटी महकूं खरा-खरा। तीखा-तीखा अंदाज तेरामैं बालम सीधा-सा।भीगा-भीगा ये मौसमख्वाब मेरा … Read more

जरूरत वतन के पहरेदारों की

अमल श्रीवास्तव बिलासपुर(छत्तीसगढ़) *********************************** मंदिर,मस्जिद नहीं चाहिए,चाह नहीं गुरुद्वारों की।आज जरूरत हमें देश में,वतन के पहरेदारों की॥ भारत माँ का मुकुट शिरोमणि,सुलग रहा है शोलों से।कांप रही रूह आज राष्ट्र की,उग्रवाद के गोलों से॥ नहीं लियाकत हमें चाहिए,आज हिमाकत की बारी।करतालों के स्वर में गोली,वीणा में हो बम बारी॥ खाई पाट सको तो पाटो,दिल में पड़ी … Read more

बरसात में

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ उदयपुर(राजस्थान) *************************************** पिया की याद मुझे सताये बरसात में।जिया में आग लगी जाये बरसात में॥ जल की मछली तड़पे जल बिन,मैं तो तड़पूं तारे गिन-गिन।मैं मछरिया किस्मत की मारी,जल जाऊं ना इस बरसात में।पिया की याद मुझे सताये बरसात में…॥ मुझको बरसता सावन ना भाये,इस बार भी वो घर ना आये।करवट बदलती मैं … Read more

जल है तो कल है

जबरा राम कंडाराजालौर (राजस्थान)**************************** जल ही जीवन है,जल है तो कल है,जल सबका ही हल,जल कल बल है। जल से सरिता बहै,जल के बादल है,जल के कुंए-ताल,जल का नल है। जल की गंगा-यमुना,गोमती चंबल है,गोदावरी-घाघरा,बह रही छलाछल है। गहरा प्रतीक होता मान का जल है,पानी उतर जाना इज्जत का जल है। सवाल स्वाभिमान का बताता … Read more

साहित्यिक संस्था द्वारा २१ पौधे भेंट

इंदौर (मप्र)। प्रकृति के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए अपने कर्त्तव्यों का पालन करने की दिशा में साहित्यिक एवं सामाजिक संस्था ‘नई क़लम’ द्वारा श्री गुर्जर गौड़ ब्राह्मण समाज सांस्कृतिक संगठन इंदौर द्वारा संरक्षित महर्षि गौतम उद्यान को २१ पौधे भेंट किए गए। संस्था की ओर से कवि जितेन्द्र राज,कवि विनोद सोनगीर व ग़ज़लकार आतिश … Read more