सम्बन्ध-बंधनों से परे

अल्पा मेहता ‘एक एहसास’राजकोट (गुजरात)*************************************** विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. सम्बन्ध शब्द का क्या अर्थ होता है ?… ‘सम्यक्’ का अर्थ पूरी तरह से,चारों ओर से अथवा परिपूर्ण। अर्थात सम्बन्ध शब्द का अर्थ होता है, ‘चारों ओर से बंधन’,’सब प्रकार से बंधन’ अथवा ‘परिपूर्ण बंधन।’संसार में माता-पिता,भाई-बहन,जीजा,दामाद,बाप-बेटी,माँ-बेटी आदि) को हम लोग सम्बन्धी (रिश्तेदार,नातेदार) कहते हैं।हर … Read more

चेतना को विकसित करने की प्रक्रिया ‘योग’

डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)********************************************* २१ जून विश्व योग दिवस विशेष…. जिस भी जीव को शरीर मिला है,उसको स्वस्थ्य बनाने के लिए कुछ न कुछ शारीरिक मानसिक क्रियाएं करना पड़ती हैं और क्रियाहीन जीवन मृत हो जाता है। सब जानवर,पशु-पक्षी अपनी विशेष क्रियाएं करते हैं,यह उनमें नैसर्गिक गुण होता है। मानव में मन विशेष होने और बहुत चंचल … Read more

रहें प्रेम से

नरेंद्र श्रीवास्तवगाडरवारा( मध्यप्रदेश)**************************************** विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. रहें प्रेम से,कभी न झगड़ेंं,झगड़े में कुछ नहीं रक्खा।सच्ची-सच्ची बात करें हम,तुम बताओ,है नईं कक्का॥ चार दिना की ये जिंदगानी,नम्बर सबका आयेगा।इधर से कुछ ना ले जायेंगे,सब रखा यहीं रह जायेगा।क्यों करें हम धक्का-मुक्की,क्यों मारें धक्कम-धक्का॥ हिंदू,मुस्लिम,सिख,ईसाई,आपस में सब भाई प्यारे।सबके आगे नतमस्तक हम,मंदिर,मस्जिद,चर्च,गुरुद्वारे।कहते भी हैं धर्म … Read more

बिना प्रेम जग सूना

डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. बिना प्रेम के ये जग सूना।मिले प्रेम से ही सुख दूना॥प्रेमामृत रस पान जो करे।जीवन के सारे कष्ट हरे॥ प्रेम तपस्या जीवन पूजा।प्रेम ईश का नाम है दूजा॥स्वारथ इसमें कभी न होता।प्रेम पयोधि लगाये गोता॥ राह प्रेम की जो अपनाता।जीवन में खुशियाँ वो पाता॥प्रेम सदा विश्वास … Read more

प्रेम

नमिता घोषबिलासपुर (छत्तीसगढ़)**************************************** विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. प्रेम क्या है ? महज एक रिश्ता स्त्री पुरुष का या व्यापक अर्थों में एक जीव का दूसरे जीव से। एक स्वाभाविक अभिव्यक्ति,फिर चाहे वह मनुष्य का हो या प्राणी जगत के किसी भी प्राणी मात्र से हो।अरस्तु जैसे दार्शनिक ने कहा-मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है,उसी सामाजिकता … Read more

रिश्तों का कारवाँ

विद्या होवालनवी मुंबई(महाराष्ट्र )****************************** विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. रिश्तों का कारवाँ उम्रभर ऐसीराह चलता रहा,हर मोड़ परबंधनों में उलझता ही रहा।जीवन की हर डगर में अपनों सेअपनापन पाए बिना जूझता ही रहा,मोहब्बत और नफरत कीकरवटें बदलता ही नजर आया।स्वार्थ और मतलबी अनबन मेंभरोसे का दर्पण टूटता रहा,अपेक्षाओं की लहरों मेंजज्बातों का किनारा लगता ही … Read more

प्रगति के लिए सौहार्द्र जरूरी

डॉ. प्रताप मोहन ‘भारतीय’सोलन(हिमाचल प्रदेश)************************************** विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. सौहार्द्र प्रेम है,अपनापन हैदोस्ती है,भाई चारा है,स्नेह है,आपसी मित्रता है-और हमारे हृदय की धड़कन है। अगर हमारे देश सेजातिगत व्यवस्था,और परम्परागत धर्महट जाए,तो हमारा देशसाम्प्रदायिक सौहार्द्र,की मिसाल बन जाए। पहचानो अपनी खामियों कोपहचानो सामने वाले की खूबियों को,जिस दिन ऐसी सोच लाओगे-सचमुच सौहार्द्र की मूर्ति … Read more

सौहार्द-मानव जीवन का अमृत

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश) ******************************************* विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. जीवन में सौहार्द हो,तो आता मधुमास।अपनाकर सौहार्द को,मानव बनता ख़ास॥ नित सुहृदित आचार में,है करुणा का रूप।जिससे खिलती चाँदनी,बिखरे उजली धूप॥ सुविचारों से ही सदा,मानव बने उदार।द्वेष,कपट सब दूर हों,तो जीवन जयकार॥ अंतर्मन में नम्रता,अधरों पर मृदु बोल।करता है सौहार्द तो,जीवन को अनमोल॥ रीति,नीति हमसे … Read more

तुम बिन

ज्ञानवती सक्सैना ‘ज्ञान’जयपुर (राजस्थान) ******************************************** विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. तुम बिन क्षण भी लगे युगों-सा,पल-पल बहुत कठोर।दिन भी तुम बिन लगे रात-सा,कोई न जिसकी भोर। तुमसे रौनक मन-उपवन में,तुमसे सदा बहार।फूलों में खुशबू है तुमसे,तुमसे मन्द बयार। जीवन में हर रंग तुम्हीं से,तुमसे हर्ष अपार।जन्नत जैसा सुकूँ तुम्हीं से,तुमसे मस्त मल्हार। तुम बिन गीत … Read more

अपने में ही झांक रहे हैं

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** विश्व सौहार्द दिवस स्पर्धा विशेष…. अपने को ही परमात्मा में झांक रहे हैं,अर्थ अपने-अपने यहां सब भांप रहे हैं। हिन्दी,अंग्रेजी,उर्दू तमाम सभी भाषाएं,ख़ुदा को अपने ही फीते से नाप रहे हैं। ढोंगी यहां,रुह का रुह से रिश्ता नहीं,अर्थ का अनर्थ जमाने भर में बाँच रहे हैं। खौफ है,हरे-भगवा-काले लिबासों का,यहां इंसान,इंसान से … Read more