मैंने सोचा कि,मेरी भी ज़िम्मेदारी है…
मयंक वर्मा ‘निमिशाम्’ गाजियाबाद(उत्तर प्रदेश) *************************************** मेरे पिता जी की साईकल स्पर्धा विशेष….. “क्या,नाम क्या है तुम्हारा ?” गौरव ने पूछा।“अरे साब,बाहेर देस के लगते हो। यहां हम जैसों का नाम नहीं पूछता कोई। सब ए कबाड़ी,ओ कबाड़ी वाले,बस ये ही बोलते हैं। वैसे कहते हैं मेरे बाबूजी ने ‘राजा’ नाम रखा था। अब देखो किस्मत,ये … Read more