नेताजी
राजू महतो 'राजूराज झारखण्डी' धनबाद (झारखण्ड) ************************************************************************** देखो सज-धज कर नेताजी आए हैं, सब जन हेतु साथ खुशियां लाए हैं, देखो सज-धज कर नेताजी आए हैं, दर्शन इनके पाँच साल…
राजू महतो 'राजूराज झारखण्डी' धनबाद (झारखण्ड) ************************************************************************** देखो सज-धज कर नेताजी आए हैं, सब जन हेतु साथ खुशियां लाए हैं, देखो सज-धज कर नेताजी आए हैं, दर्शन इनके पाँच साल…
निर्मलकुमार पाटोदी इन्दौर(मध्यप्रदेश) ***************************************************** भारत,भारतीय भाषाओं और भारतीयता के लिए मंथन का आव्हान भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्रीय राष्ट्र है। देश के ९० करोड़ मतदाता ११ अप्रैल से १९…
हेमा श्रीवास्तव ‘हेमाश्री’ प्रयाग(उत्तरप्रदेश) ********************************************************************* ओढ़ छतरी लोकतंत्र की जा पहुचे संसद नेता जी नोट गिनें और ओट लूटे बढ़ी समस्या जनता की। करते मत का हैं दुरुपयोग कुछ शकुनी…
अवधेश कुमार ‘अवध’ मेघालय ******************************************************************** छोड़ पुराने राग-द्वेष को,समुचित सत्य सबूत करें। ऐसा ना हो स्वयं मरें औ मानवता ताबूत करें। पाँच वर्ष के बाद पुन: यह वक्त सुनहरा आया…
आरती सिंह ‘प्रियदर्शिनी’ गोरखपुर(उत्तरप्रदेश) ***************************************************************************************** वर्तमान अंकुर के तत्वाधान में प्रकाशित साझा काव्य संग्रह पहाड़ी गूंज में हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड के रचनाकारों ने अपना अप्रतिम योगदान दिया है। साझा…
सुबोध कुमार शर्मा शेरकोट(उत्तराखण्ड) ********************************************************* अडिग हिमालय लिये शिवालय, करता सबका आवाहन। त्याग करो प्रमाद द्वेष का, करो प्रकृति आराधन। नंदा देवी पंचाचूली, जीवन को हर्षित करती। नैना देवी आशीष…
उज्जवल कुमार सिंह ‘उजाला’ नजफगढ़(नई दिल्ली) ****************************************************************** कलम की नोक से कागज की कोख पर, कहानियाँ जवानी की मजबूरियाँ दीवानी की, मन के गुबार को हरदम लिखता हूँ कागज को…
डॉ.एन.के. सेठी बांदीकुई (राजस्थान) ************************************************************************* ये जीवन है इक इम्तहान, सबको देना पड़ता है। जो जीता जीवन सोच-समझ, वही सफलता पाता हैll जीवन के इस इम्तहान में, माहिर भी धोखा…
डॉ.अरविन्द जैन भोपाल(मध्यप्रदेश) ***************************************************** आम स्वयं पकते हैं और पकाये भी जाते हैं। जो स्वयं पकते हैं,वे डाली से स्वयं टूट जाते हैं। उनमें मिठास भी होती है और नैसर्गिक…
संजय जैन मुम्बई(महाराष्ट्र) ************************************************ मिलवाना था अपनों से, तभी तो हमें-तुम्हें इस संसार में लाया है। किये होंगे पूर्व जन्म में कुछ अच्छे कर्म हमने, तभी तो आप जैसे, यार…