मंजू सक्सेना की ग़ज़लों में सब कुछ एकसाथ-सिद्धेश्वर
पटना (बिहार)। मंजू सक्सेना की कलम की तलखियत को बयां करती है, और अपने नए गजल संग्रह 'अनछुई छुवन' की अधिकांश ग़ज़लों के समकालीन मिजाज से पाठकों को परिचय कराती…
पटना (बिहार)। मंजू सक्सेना की कलम की तलखियत को बयां करती है, और अपने नए गजल संग्रह 'अनछुई छुवन' की अधिकांश ग़ज़लों के समकालीन मिजाज से पाठकों को परिचय कराती…
राधा गोयलनई दिल्ली****************************************** औरत औरों को रोशनी देने के लिए,जलती रहती है…मोम-सी पिघलती है,शायद जलना, पिघलना और फिर खाक हो जाना ही उसका 'नसीब' है। जब-जब उसने ऊँची उड़ान भरनी…
आशा आजाद`कृतिकोरबा (छत्तीसगढ़)**************************** लापरवाही देख लें, अनहोनी हो जाय। सब बच्चों को आज तो, वाहन ही है भाय॥ वाहन ही है, भाय जोश में, तेज चलाते। नियम बने जो, नित्य…
हेमराज ठाकुरमंडी (हिमाचल प्रदेश)***************************************** प्रेम अन्त अभिलाषा है जीवन की,पर मिला वह सबको अधूरा ही हैराम-कृष्ण की कहानी को सुन लो,उनमें भी कौन-सा वह पूरा ही है ? यह रही…
रत्ना बापुलीलखनऊ (उत्तरप्रदेश)***************************************** जनमानस का जीवन जल पर ही निर्भर है, अतः नदियों का महत्व सदियों से न केवल भारत में बल्कि पूरे संसार में है। इसलिए प्राचीन काल में…
पटना (बिहार)। संपादक एवं कथाकार अमरेंद्र कुमार सिंह ने पटना में 'शिष्ट विनोद' के कार्यालय पर सारस्वत विचार और कवि गोष्ठी का आयोजन किया। इसी क्रम में अमरेंद्र कुमार सिंह…
दिनेश चन्द्र प्रसाद ‘दीनेश’कलकत्ता (पश्चिम बंगाल)******************************************* सूरज में नहीं है, उतनी गर्मी,जितनी तेरी साँसों में हैसागर में नहीं है, उतनी गहराई,जितनी तेरी आँखों में है। गुलाबों में नहीं है, उतनी…
ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** कुछ पीड़ा कुछ अनुभूतियाँ,ठोस चट्टानों तल दबे लावे जैसीहृदय पर विप्लव मचाती रहती है,किंतु उसे बलात दबा करसागर गम्भीर, पर्वत-सा ऊँचा,पीड़ा की वह अवहेलना उपेक्षा करता है…।…
विजयलक्ष्मी विभा इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश)************************************ अंजलि भर आतप से, आनन कुम्हला गया,चिन्तित हो अनदेखा, दर्पण धुंधला गया। रोदन से कंठ भरे,छवि जब कुछ बोलीपीड़ित हो गगन हिला,धरणी भी डोली।समझाते सावन का बादल तुतला…
डॉ.एन.के. सेठीबांदीकुई (राजस्थान) ********************************************* नाशवान है ये जग सारा,फिर भी नहीं मानता मन है।जो आया है वो जाएगा,चंद दिनों का ये जीवन है॥ हम सब मानव कठपुतली हैं,उसके हाथ हमारी…