दूषित कार्मिक सम्बन्धों की समाप्ति से ही स्वर्णिम युग

मुकेश कुमार मोदीबीकानेर (राजस्थान)**************************************** अनन्तकाल से संसार में अनेक मनुष्यात्माओं का आना-जाना चला आ रहा है। साकार मनुष्यलोक में आते ही हमारा अन्य आत्माओं से सम्बन्ध जुड़ जाता है। आध्यात्मिक…

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लेखक ललित गर्ग सम्मानित

नई दिल्ली। जैन विश्वभारती के सुमेरू में आयोजित समारोह में लेखक ललित गर्ग को उनकी उल्लेखनीय लेखन एवं पत्रकारिता की सेवाओं का अंकन करते हुए सम्मानित किया गया। श्री जैन…

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डॉ. रमा सिंह के सम्मान में रचनाकारों ने दी सुंदर प्रस्तुति

मुम्बई (महाराष्ट्र)। अखिल भारतीय अनुबंध फाउंडेशन (मुंबई) द्वारा मुंबई के मीरा रोड स्थित 'विरुंगला सभागृह' में 'काव्य सम्मेलन' आयोजित किया गया। पूज्य माताजी श्रीमती शकुंतला शर्मा व पूज्य पिताजी रविदत्त…

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मानव बनो

प्रो.डॉ. शरद नारायण खरेमंडला(मध्यप्रदेश)******************************************* मानव बनो, संसार है।करुणा रखो, अभिसार है॥सजाओ पथ, अब नीति हो।बनाओ मन, अब प्रीति हो॥ धर्म साधो, जो सार है।कर्म मानो, जो प्यार है॥मर्म जानो, उपहार…

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गोष्ठी में किया भावपूर्ण प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ

इंदौर (मप्र)। इन्दौर साहित्य सागर संस्था का १८० वाँ साहित्यिक आयोजन सरस काव्य गोष्ठी के रूप में वरिष्ठ कवि भीखूलाल निमाड़े की अध्यक्षता, लेखक सुरेश कुमार शर्मा 'बाबूजी' के मुख्य…

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मोक्ष स्वयं में ही पाएंगे

गोपाल मोहन मिश्रदरभंगा (बिहार)***************************************** बड़े-बड़े सुनहरे ख्वाब,और छोटी-सी ये ज़िन्दगीजैसे वह भी एक ख्वाब हो,न जाने कब कौन हमें जगा दे। हमारी नींद कब टूटे,और सामने हो अंतिम सत्यहो इतना…

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वह पथ

संदीप धीमान चमोली (उत्तराखंड)********************************** वह‌ पथ जिस पर विचरण किया जा सकेनहीं नहीं वह बिल्कुल भी नहीं है,वह शब्द जिस पर स्मरण किया जा सकेनहीं-नहीं, वह तो कतई नहीं है। वह…

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चुहियों की टोली

ममता तिवारी ‘ममता’जांजगीर-चाम्पा(छत्तीसगढ़)************************************** चीं चीं चीं चीं चूं चूं चूं चूं ऐसी उनकी बोली,करती मटरगश्ती बड़ी मस्त कुछ चुहियों की टोली। जाना रहा उनको बाजार, रास्ते में थी नाली,कुछ ही…

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तलाश में…

अरुण वि.देशपांडेपुणे(महाराष्ट्र)************************************** निकला हूँ कब से तलाश में,हर कोई कहता है मुझेतू ढूँढने निकला है जिसे,वह तो चराचर सृष्टि में है। हर वह जगह देखता हूँ,उसके होने का एहसासमुझे मन…

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ईश्वर की अब कर बन्दगी

ताराचन्द वर्मा ‘डाबला’अलवर(राजस्थान)*************************************** किस पर इतना गुमान करे,कुछ भी नहीं जगत में तेराजिसको समझ रहा है अपना,वही दौलत पर लगा रहा फेरा। सुंदर काया भी तेरी नहीं,नहीं तेरा घर और…

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