पद-प्रभाव का दुरूपयोग विचारणीय
डॉ.अरविन्द जैनभोपाल(मध्यप्रदेश)***************************************************** प्रजातंत्र में चुने हुए प्रतिनिधियों को विधायिका मानते हैं,उनके अधीनस्थ कार्यपालिका निश्चित रूप से उनकी सहायता करने,उनकी मंशाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध होती या रहती है। बहुत सीमा तक न्यायपालिका भी अप्रभावित नहीं रहती है। बुद्धिमान राजा यानी वर्तमान में प्रधान मंत्री को स्वयं और अधीनस्थों को यानी मत्रियों को निम्न … Read more