हे प्रकृति महाकवि
डॉ.धारा बल्लभ पाण्डेय’आलोक’अल्मोड़ा(उत्तराखंड) ************************************************ रचनाशिल्प:कुल ३२ मात्राएं,१०-८-८-६ मात्रा पर यति। प्रत्येक पंक्ति के दो चरण विकल्प से समतुकांत तथा २-२ पंक्ति सम तुकांत। हे प्रकृति महाकवि,जन्मभूमि रवि,तुम पहाड़ के,गुरुवर हो।तुम महान ज्ञानी,सुरमय दानी,हिमालयी सुत,कविवर हो॥ है सुरम्य धरणी,माता जननी,जिनकी पावन,कविता है।लिख नारी महिमा,माँ की गरिमा,उज्जवल निर्मल,सविता है॥ हो इसी प्रकृति के,मोहक मन के,तुम्ही पंत जी,उद्गाता।हो … Read more