निराले नेह का बंधन

मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’जयपुर(राजस्थान)**************************************************** रक्षाबंधन पर्व विशेष……….. बना ये सूत का धागा,निशानी प्रीत की समझूँ,निशानी मतलबी जग में,अनूठी रीत की समझूँ।कलाई पर सजा देखूँ,निराले नेह का बंधन-सभी रिश्तों में पावन ये,निभानी प्रीत की समझूँ॥ सजाए थाल रिश्तों का,आ गई सावनी राखी,हजारों रंग के सपने,लिए मन भावनी राखी।कि शिव संकल्प रक्षा का जगाती भावना मन में-सजेगी … Read more

नफरत वाले हारे

मोहित जागेटियाभीलवाड़ा(राजस्थान)******************************************************************** मेरे गुलशन को तुम महकाते हो,मेरे आँगन में तुम खिल जाते हो।तुम में मधुरस भरा महकती साँसें-प्रीत की धरा इस तरह सजाते हो॥ प्रीत झरोखे से प्रेम झरना झरा,प्रेम पुण्य पल पावन मन हरा धरा।सदा बना रहता रिश्तों का बंधन,वो जीवन जो खुशियों से रहा भरा॥ मन में नीला अम्बर चाँद-सितारे,पुष्प लता से … Read more

अभिनन्दन स्वीकारो रफ़ाल

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) *********************************************************************** आया रफ़ाल छाया रफ़ाल,स्वर्णिम भारत शत्रु बेहाल।पुलकित सेना भारत जनता-गद्दारों का फिर से सवाल॥ है शौर्यवीर मानक रफ़ाल,शत्रुंजय मारक बेमिसाल।आतंक दुखी पाकी दुश्मन-चीन वायरस को है मलाल॥ महाकाल प्रलयंकर रफ़ाल,गतिमान गगन द्रुत वेग काल।परमाणु शस्त्र वाहक सक्षम-इतिहास प्रबल गौरव विशाल॥ सेना नभ थल जल लखि रफ़ाल,गदगद मानस मधुरिम रसाल।मन … Read more

वो कहानी याद है

ओम अग्रवाल ‘बबुआ’मुंबई(महाराष्ट्र)****************************************************************** शहीदों की आज भी, वो कहानी याद है,खून से रंगा था वो,दरिया का पानी याद है।चोटियों पर जब हमारी,फौज का बरपा कहर-कारगिल के दुश्मनों को,अब भी नानी याद है॥ परिचय-ओमप्रकाश अग्रवाल का साहित्यिक उपनाम ‘बबुआ’ है।आप लगभग सभी विधाओं (गीत, ग़ज़ल, दोहा, चौपाई, छंद आदि) में लिखते हैं,परन्तु काव्य सृजन के साहित्यिक … Read more

आओ साजन गुलज़ार करो मन

डॉ.राम कुमार झा ‘निकुंज’बेंगलुरु (कर्नाटक) ******************************************************************** आओ साजन गुलज़ार करो मन,आया सावन दिलदार करो तन।मन्दाचल बह लाओ बहार तुम-बन गन्धमाद पुष्पित पराग कण॥ बिम्बाधर मधुरिम नित शुष्क वदन,भागीरथ पावन प्रिय अवगाहन।नित बहे अश्क आँखों का काजल-पुष्पचयन प्रिय स्वागत मधुश्रावण॥ देख मुदित जलज वर्षा ऋतु सावन,बरसी रिमझिम चिढ़ाती चितवन।आँख मिचौनी वर्षा घन मधुरिम-लखि तरस रही आलिंगन … Read more

सलामत मुस्कान रखना

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)**************************************************** सलामत होंठ पर मुस्कान रखना,सफर में ना बहुत सामान रखना।सदा जीवन रहे,सुखमय तुम्हारा- नहीं दिल में बहुत अरमान रखना॥ परिचय- शिवेन्द्र मिश्र का साहित्यिक उपनाम ‘शिव’ है। १० अप्रैल १९८९ को सीतापुर(उप्र)में जन्मे शिवेन्द्र मिश्र का स्थाई व वर्तमान बसेरा मैगलगंज (खीरी,उप्र)में है। इन्हें हिन्दी व अंग्रेजी भाषा का ज्ञान है। जिला-लखीमपुर … Read more

होगा पराक्रम करना

शशांक मिश्र ‘भारती’शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ****************************************************************** बहुत हो चुकी सीनाजोरी अब हमें पराक्रम करना होगा, जागो रणबांकुरों जागो शत्रुओं का देश उजड़ना होगा। मित्रता की बातें करने वाले आस्तीन के सर्प निकल गए- भारतीय वीरों द्वारा तिरंगा दुश्मन की छाती में गड़ना होगा॥ परिचय–शशांक मिश्र का साहित्यिक उपनाम-भारती हैl २६ जून १९७३ में मुरछा(शाहजहांपुर,उप्र)में जन्में हैंl वर्तमान … Read more

अश्रु तेरे बह रहे क्यों

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)**************************************************** दिल हमारा रो रहा है,अश्रु तेरे बह रहे क्यों,होंठ हैं खामोश मेरे,ये नयन कुछ कह रहे क्यों।बाँटते हो दर्द मेरा,क्यों मेरे हमदर्द बनकर- ताप ये मेरे घुटन की साथ में तुम सह रहे क्योंll परिचय- शिवेन्द्र मिश्र का साहित्यिक उपनाम ‘शिव’ है। १० अप्रैल १९८९ को सीतापुर(उप्र)में जन्मे शिवेन्द्र मिश्र का स्थाई … Read more

दर्द देना आदत तुम्हारी

शिवेन्द्र मिश्र ‘शिव’लखीमपुर खीरी(उप्र)**************************************************** दर्द देना प्यार में आदत तुम्हारी बन गयी है,चोट देना मुस्कुरा कर आदत तुम्हारी बन गयी है।जानता हूँ ‘जी’ नहीं सकते,हमारे प्यार बिन तुम- आपसी तकरार की आदत तुम्हारी बन गयी हैll परिचय- शिवेन्द्र मिश्र का साहित्यिक उपनाम ‘शिव’ है। १० अप्रैल १९८९ को सीतापुर(उप्र)में जन्मे शिवेन्द्र मिश्र का स्थाई व वर्तमान … Read more

अब केवल शत्रु ही शत्रु रोएंगे

शशांक मिश्र ‘भारती’शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) ****************************************************************** कभी इस सीमा कभी उस सीमा सैनिक कब तक खोएंगे, रोना था शत्रुपक्ष को पर हमारे घर-आँगन आँसू क्यों बोएंगे। हम सदा से पौरुषशाली,पराक्रम से विजय इतिहास रहा है- अनुनय-विनय बहुत कर ली,अब केवल शत्रु ही शत्रु रोएंगे॥ परिचय–शशांक मिश्र का साहित्यिक उपनाम-भारती हैl २६ जून १९७३ में मुरछा(शाहजहांपुर,उप्र)में जन्में हैंl … Read more