कुल पृष्ठ दर्शन : 381

चैत्र प्रभात

बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
*************************************************
बुलकड़ियाँ,
रिक्त गौशाला द्वार
सूखा गोबर।

चैत्र प्रभात,
विधवा का श्रृंगार
दूर्वा टोकरी।

फाग पूर्णिमा,
डंडे पर जौ बाली
बालक दौड़ा।

होली दहन,
चूल्हे पे हँसती माँ
गेहूँ बालियाँ।

मदिरालय,
कुतिया को पकोड़े
नाली में वृद्ध।

औषधालय,
चारपाई पे वृद्ध
नीम निम्बोली।

कैर साँगरी,
बाजरे की रोटियाँ
हाथ खरोंच।

चंग का स्वर,
मातृ गोद बालिका
आँख में आँसू।

निम्बू का रस,
रंगे हाथ बालिका
मेंहदी तीली।

भंग की गोली,
सिल बट्टे पे पिस्ता
बादाम गिरी।

अजवायन,
अरबी की पत्तियाँ
बेसन लेप।

प्याज की क्यारी,
किसान की बेटियाँ
छाछ राबड़ी।

बेसन गट्टा,
आग पर लिपटे
आटे की पिंडी।

दाल पकौड़ी,
सिल बट्टे पे मिर्च
बालिका चीख।

महा नवमी,
सब्जी में तेज पत्ता
बाला को सिक्का।

पगड़ी रस्म,
खीर जलेबी पूरी
खूँटी पे चूड़ी।

लग्न पत्रिका,
लाल डोर लपेटे
गुड़ चावल।

स्वाति नक्षत्र,
माँझी की टोकरियाँ
शंख सीपियाँ।

धन तेरस,
नव युवा हर्षित
मंगल सूत्र।

मखाना बीज,
कमल पुष्प दल
तैरता युवा।

चैत मध्यान्ह,
थालियों में गुलाब
फूलों पे चीनी।

कमल डंडी,
युवकों की तैराकी
तरुण शव।

सरिस्का वन,
मृग छौना उछले
लकड़बग्घा।

पहाड़ी मार्ग,
अनियंत्रित कार
रक्त की धार।

बासोड़ा भोर,
थाली में पकवान
पथ में वृद्धा।

शहद छत्ता,
करील की झाड़ियाँ
भल्लुक मुख।

हाथी के दाँत,
चूड़ी पर नगीना
खुश जौहरी।

विधान सभा,
चौपाल पे बुजर्ग
चंगा पै ताश।

सचिवालय,
बाल मेले में चाय
आबाद हाट।

हैलीकॉप्टर,
खेत में चूहे बिल
झपटा बाज।

पावस भोर,
चौके में झाड़ती माँ
उछले टोड।

पनडुब्बियाँ,
सिंघाड़े की लताएँ
जलमुर्गियाँ।

सागर तट,
रेत से भरी ट्राली
मच्छ टोकरी।

चाँधन ताल,
खेजड़ी पर रंग
प्रवासी पंछी।

पावस साँझ,
नीम झरी पत्तियाँ
धुँआ गुबार।

शीत यामिनी,
काँपे किसान हाथ
टार्च फावड़ा।

ग्रीष्म मध्यान्ह,
वृद्धा बो रही खेत
मूँगफलियाँ।

रसोई गैस,
चिल्ली में सूखे कण्डे
चारे का झूंपा।

रसोईघर,
वृद्धा घर जुटाए
सरसों डाँड।

तोरई लता,
पत्तों पे खीर पूरी
वायस भोज।

`मातृ दिवस`,
शहीद की बेटियाँ
अर्थी को काँधा।

गौरी पूजन,
खेत में गेहूँ काटे
गवरी बाला।

ग्रीष्म मध्यान्ह,
मौन विद्युत पंखा
कपोत जोड़ा।

आम का वृक्ष,
चोंच ठोंके विहग
कठफोड़वा।

गोंद की बर्फी,
खैर बबूल पेड़
ग्वाल की जेब।

च्यवनप्राश,
आँवले की गुठली
कढ़ाई पल्टा।

गेंहू की बोरी,
चढ़ाई पर रिक्शा
हठी युवक।

दाह संस्कार,
झुका युवक सिर
नाई के आगे।

फसल बीमा,
खेत में पटवारी
जेब में भार।

चम्बल तट,
बजरी भरी नौका
पुलिस थाना।

पाणिग्रहण,
माँ के हाथ में हल्दी
आँखों में नीर।

यज्ञोपवीत,
पंचगव्य का दोना
बटुक हँसा।

`मातृ दिवस`,
फोटो देखती बेटी
आँखों में नीर।

ज्येष्ठ अष्टमी,
उबटन कटोरा
चाची भाभियाँ।

चैत्र की भोर,
दँराती पर हाथ
माँ बेटी पिता।

चैत्र मध्यान्ह,
बाल्टी लिए बधूटी
कटोरदान।

चैत्र की साँझ,
सिर पे चारा पोट
हाथ गौ रस्सी।

जूड़ा मूसल,
दुल्हन को रोकती
ननद बुआ।

दादी का बक्सा,
साटन की अँगिया
चाँदी का सिक्का।

मवेशी मेला,
कालबेलिया नृत्य
पुष्कर ताल।

भादौ चतुर्थी,
चाँद देखे युवक
गाल पे चाँटा।

आषाढ़ पूनं,
दिन में सोया पूत
खीझा किसान।

चैत्र नवमीं,
सिर पर पोटली
मेले में वधू।

सौरूँ का घाट,
सिर मुँडे युवक
हाथ पे सिक्के।

जेष्ठ मध्यान्ह,
किसान परिवार
मूँज मोगरी।

सावन वर्षा,
वृद्ध खोलता मूँज
खाट दावणी।

सावन मेघ,
क्रीडांगण में मोर
बालिका नृत्य।

भादौ के मेघ,
पीपल पर बिल्ली
मयूर केकी।

चैत्र यामिनी,
खेत में पति पत्नी
पकी फसल।

बैसाख भोर,
पल्लू पकड़े खड़ी
तूड़े की पोट।

गेहूँ की ढेरी,
थ्रेसर पर वृद्ध
हाथ पे रक्त।

शीतगोदाम,
बाबू की मेज भरी
कृषक पीर।

गुलाब गुच्छ,
क्यारी लगा फव्वारा
बाला के वस्त्र।

पूस की रात,
सिंचाई संग ओस
भीगा युगल।

परिचालक,
ट्रेन में मूंगफली
कटा युवक।

परिचारिका,
चिकित्सालय बेंच
गिफ्ट पैकेट।

चिकित्सालय,
पौंछे जच्चा के आँसू
सहयोगिनी।

नीम के पत्ते,
चूल्हे पे तपे माता
कढ़ी मसाला।

गोखरू पाक,
बालिका के तलुए
जय जवान।

चैत्र विभात,
शतावरी की जड़
अश्व सी गंध।

अमृता लता,
चौके में माँ तैनात
काढ़ा कटोरी।

गिलोय वटी,
बेटी के सिर भाल
गीला कपड़ा।

तुलसी पत्ता,
बालिका धोये हाथ
ब्लैक टी कप।

चैत्र वासर,
रोटी पे सहजन
गोभी का फूल।

गृह वाटिका,
सहजन की फली
चौके में गंध।

चैत्र प्रभात,
सर्पगंधा के पुष्प
भ्रमर दल।

त्रिफला चूर्ण,
आँवले सुखाए माँ
बजी खरल।

ईसबगोल,
बैठक में दादाजी
दही की लस्सी।

खेल मैदान,
छात्राओं की टोलियाँ
पौधारोपण।

झींगा मछली,
ताल में बालिका
आटे की गोली।

‘बया दिवस’,
जागरूक शिक्षक
नीड़ का चित्र।

आम्र मंजरी,
पीठ पे लगी टंकी
कीटनाशक।

‘मातृ दिवस’,
चिता पे चीरा शव
धात्री उदर।

हवन वेदी,
दिव्यांग दुल्हनिया
गोद में फेरे।

तोरण द्वार,
दूल्हे की उठी छड़ी
उड़ी चिड़िया।

डेयरी बूथ,
किसान की केतली
छाछ की थैली।

अशोकारिष्ट,
चूल्हे पर देगची
पानी में छाल।

धनुष बाण,
भील बाला के हाथ
गोदना यंत्र।

सुहाग सेज,
दुल्हन का शृंगार
हंँसी बालिका।

‘पितृ दिवस’,
घोड़ी पे बैठा दूल्हा
नन्हीं बालिका।
(इक दृष्टि यहाँ भी:टोड=मेंढक की एक प्रजाति)

परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा हैl आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) हैl वर्तमान में सिकन्दरा में ही आपका आशियाना हैl राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. हैl आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन(राजकीय सेवा) का हैl सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैंl लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैंl शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया हैl आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः हैl

Leave a Reply