चैत्र प्रभात

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* बुलकड़ियाँ, रिक्त गौशाला द्वार सूखा गोबर। चैत्र प्रभात, विधवा का श्रृंगार दूर्वा टोकरी। फाग पूर्णिमा, डंडे पर जौ बाली बालक दौड़ा। होली दहन, चूल्हे पे हँसती…

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जर्जर नौका गहन समंदर

बाबूलाल शर्मा सिकंदरा(राजस्थान) ************************************************* मँझधारों में माँझी अटका, क्या तुम पार लगाओगी। जर्जर नौका गहन समंदर, सच बोलो कब आओगी। भावि समय संजोता माँझी, वर्तमान की तज छाया अपनों की…

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