कुल पृष्ठ दर्शन : 241

भारी मेरा नहला

संजय गुप्ता  ‘देवेश’ 
उदयपुर(राजस्थान)

********************************************************************

अचानक ये दुनिया काँपी एक कोलाहल-सा ऐसा मचा
मानो आ गया हो जैसे यहाँ,कोई भयानक जलजला।

मैं तो मस्त,बस निहार रहा था खुले आसमान के नजारे,
कब पैरों तले ये जमीन खिसक गयी,पता ही नहीं चला।

मुझे सलामत देख के,फर्श पे औंधे पड़े मुस्करा के बोले
इसे,पर्दाफाश-जिदंगी के राज का,मालूम नहीं चला।

लहरों की उल्टी दिशा में तैर कर पार करता हूँ अड़चनें,
क्योंकि,मैं खुद के जमीर से लेता हूँ खुद का फैसला।

पत्ते फेंटते ही उनके चेहरे पे आती इस शिकन को देखो,
जानते हैं कि उनके दहले पर भारी पड़ा है मेरा नहला।

मुझसे जहर पीने की होड़ लगा बैठै हैं अपनी नादानी में,
प्याला लबों से छूकर फेंक देते हैं जो कह के उसे कसैला।

उनकी तमीज और तहजीब तो देखो वाह-वाह करने की,
अभी तो मैं खामोश हूँ,पढ़ा ही नहीं ग़ज़ल का मतला॥

परिचय-संजय गुप्ता साहित्यिक दुनिया में उपनाम ‘देवेश’ से जाने जाते हैं। जन्म तारीख ३० जनवरी १९६३ और जन्म स्थान-उदयपुर(राजस्थान)है। वर्तमान में उदयपुर में ही स्थाई निवास है। अभियांत्रिकी में स्नातक श्री गुप्ता का कार्यक्षेत्र ताँबा संस्थान रहा (सेवानिवृत्त)है। सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आप समाज के कार्यों में हिस्सा लेने के साथ ही गैर शासकीय संगठन से भी जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता,मुक्तक एवं कहानी है। देवेश की रचनाओं का प्रकाशन संस्थान की पत्रिका में हुआ है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-जिंदगी के ५५ सालों के अनुभवों को लेखन के माध्यम से हिंदी भाषा में बौद्धिक लोगों हेतु प्रस्तुत करना है। आपके लिए प्रेरणा पुंज-तुलसीदास,कालिदास,प्रेमचंद और गुलजार हैं। समसामयिक विषयों पर कविता से विश्लेषण में आपकी  विशेषज्ञता है। ऐसे ही भाषा ज्ञानहिंदी तथा आंगल का है। इनकी रुचि-पठन एवं लेखन में है।

Leave a Reply