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वर्तमान समस्या को बढ़ाईए मत

प्रभावती श.शाखापुरे
दांडेली(कर्नाटक)
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भय,आतंक,महामारी का दूसरा नाम आज ‘कोरोना’ विषाणु है। पूरे विश्व पर इस महामारी ने कब्जा कर लिया है। अगर हम सोच कर देखें तो इसका कारण भी खुद मनुष्य ही है। प्रकृति का नियम है कि जो बीज बोएंगे,वहीं फल पाएँगे। मनुष्य ने जो पाप या कुकर्म प्रकृति के साथ किया है, उसका फल आज सब भुगत रहे हैं।
आए दिन यह महामारी बढ़ती जा रही है। हजारों लोग मृत्यु को गले लगा चुके हैं। पूरी दुनिया इस रोग से लड़ रही है। अनेक चिकित्सक इसका इलाज ढूंढने में दिन-रात एक कर रहे हैं। वर्तमान समस्या के चलते दुःख तो इस बात का होता है कि,कई लोग सरकार के ‘तालाबंदी’ के नियमों को न मान कर घर से बाहर निकल रहे हैं। जो इनकी सुरक्षा के लिए तैनात हैं,उन्हें ही मार रहे हैं और फिर उनके साथ बदतमीजी कर रहे हैं। क्या ये समस्या सिर्फ सरकार की है ? सरकार ने जो फैसला लिया है हमारी सुरक्षा के लिए, क्यों उस पर अमल नहीं कर रहे हैं ये ? घर से बाहर निकलना बड़ा आसान है,पर उन चिकित्सकों,पुलिस और अन्य कर्मचारियों से जाकर पूछिए जो दिनभर ‘कोरोना’ पीड़ित मरीजों की सेवा करने की खातिर अपने ही लोगों से घर जाकर मिल नहीं पाते हैं। अपने ही घर में पराए बने हुए हैं। वे घर से बाहर जाना नहीं चाहते,फिर भी उन्हें जाना पड़ता है। हम उनका दर्द कभी महसूस कर लें तो शायद पता चले कोरोना है क्या ? अपनी सुरक्षा जब अपने ही हाथों में है,तो क्यों हम सरकार के फैसले का उल्लंघन कर वर्तमान की इस समस्या को और बढ़ा रहे हैं। समस्या मनुष्य ने खुद निर्माण की है,तो इस समस्या का हल भी खुद मनुष्य ही है।
हम दिल से दुआ देकर प्रणाम करते हैं उन चिकित्सकों,पुलिस और अन्य सुरक्षा कर्मचारियों को,जो अपनी जान दांव पर लगा कर इस समस्या से हमें बचाने की कोशिश कर रहे हैं। यकीन मानिए हमारी सतर्कता, सावधानी और सहयोग ही उन्हें और हमें कामयाब कर सकता है,इसलिए ‘घर में रहिए,सुरक्षित रहिए।’

परिचय-प्रभावति श.शाखापुरे की जन्म तारीख २१ जनवरी एवं जन्म स्थान-विजापुर है। वर्तमान तथा स्थाई पता दांडेली, (कर्नाटक)ही है। आपने एम.ए.,बी.एड.,एम.फिल. और पी.एच-डी. की शिक्षा प्राप्त की है। कार्य क्षेत्र-प्रौढ़ शाला में हिंदी भाषा की शिक्षिका का है। इनकी लेखन विधा-तुकांत, अतुकांत,हाईकु,कहानी,वर्ण पिरामिड, लघुकथा,संस्मरण और गीत आदि है। आपकी विशेष उपलब्धि-श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान मिलना है। श्रीमती शाखापुरे की लेखनी का उद्देश्य-कलम की ताकत से समाज में प्रगति लाने की कोशिश,मन की भावनाओं को व्यक्त करना,एवं समस्याओं को बिंबित कर हटाने की कोशिश करना है। 

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