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रंगों की माया

क्रिश बिस्वाल
नवी मुंबई(महाराष्ट्र)
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रंग उड़ाओ,खुशी मनाओ,
जलेबी-फाफड़ा खाओ।
गुलाल में भीगकर बंटी है आया,
बस रंगों की है यह माया…॥

बुरा न मानो,
खुशियां मना लो।
शिव भी आज सोम पीकर है छाया,
बस रंगों की है यह माया…॥

रोना नहीं आज है,
बस होना रंगों में साज है।
देखो भर-भर कर गुलाल है आया,
बस रंगों की है यह माया…॥

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