कुल पृष्ठ दर्शन : 237

आ जाओ माँ विपत्ति निवारिणी

डॉ. आशा गुप्ता ‘श्रेया’
जमशेदपुर (झारखण्ड)
*******************************************

आ जाओ माँ दुर्गा भवानी,
सिंहसवारिनी विपति हारिणी
स्वागत प्रार्थना जन कर जोडी़,
आ जाओ माँ जग कल्याणी।

महामारी से पीड़ित जनमानस
सुनो पूकार हे माँ जगतारिणी,
हो तुम दुर्गति नाशिनी जगदम्बे
जगजननी तुम हो भयहारिणी।

सजा रहे घर मंदिर औ आँगन,
मन कर्म वचन से स्वागतं माते
महावर नुपूर शोभत शुभ पाँव,
आ जाओ माँ हे करुणामयी।

अनुपम नौ दिव्य रुप हो दर्शन,
हृदय में जागृत श्रद्धा भाव
प्रथम शैलपुत्री कृपादायिनी,
वृषवाहिनी हैं त्रिशूलधारिणी।

द्वितीय ब्रह्मचारिणी माते नमन,
शांत रूपिणी कमंडलधारिणी
तृतीय चंद्रघंटा घंटध्वनि भयंकर,
मोक्षदायिनी माँ करे सिंह सवारी।

चतुर्थ पूजित कुष्मांडा शक्ति माँ,
पंचम सुक्ष्मरूपा माँ स्कंदमाता
सदा हैं माँ शुभाशीष दायिनी,
षष्टमं पापी नाशक कात्यायिनी।

सप्तम दिवस पूजन कर जोड़ी,
अधिष्ठाणी असुरघाती कालरात्रि
कन्यारुप पूजे अष्टम महागौरी।
सदा वरदायिनी सर्व कल्याणी।

सर्वसिद्धियों को हैं देने वाली,
नवम रूप शोभे माँ सिद्धिदात्री
भगवती माँ दुर्गा दुर्गतिनाशिनी,
अनेक शस्त्रों से सजी भवानी।

स्त्री बालिका रक्षा कैसे हो माँ,
असुर दानव बन रहे हैं मानुष
विवेक दूषित कर्म भी ओछा,
शिक्षाशक्ति जगे नारी कल्याणी।

सबकी आस तुम्हीं हो माते,
बालक वृद्ध युवा सब नर-नारी
जीवन सुख प्रगति खेले हँसी,
याचना करत जग हे महारानी।

करें वंदना औ अर्चन हे देवी,
हे खप्परवाली श्रद्धारुपिणी।
आ जाओ माँ विपत्ति निवारिणी,
कृपा करें माँ दुर्गा हे कल्याणी॥

परिचय- डॉ.आशा गुप्ता का लेखन में उपनाम-श्रेया है। आपकी जन्म तिथि २४ जून तथा जन्म स्थान-अहमदनगर (महाराष्ट्र)है। पितृ स्थान वाशिंदा-वाराणसी(उत्तर प्रदेश) है। वर्तमान में आप जमशेदपुर (झारखण्ड) में निवासरत हैं। डॉ.आशा की शिक्षा-एमबीबीएस,डीजीओ सहित डी फैमिली मेडिसिन एवं एफआईपीएस है। सम्प्रति से आप स्त्री रोग विशेषज्ञ होकर जमशेदपुर के अस्पताल में कार्यरत हैं। चिकित्सकीय पेशे के जरिए सामाजिक सेवा तो लेखनी द्वारा साहित्यिक सेवा में सक्रिय हैं। आप हिंदी,अंग्रेजी व भोजपुरी में भी काव्य,लघुकथा,स्वास्थ्य संबंधी लेख,संस्मरण लिखती हैं तो कथक नृत्य के अलावा संगीत में भी रुचि है। हिंदी,भोजपुरी और अंग्रेजी भाषा की अनुभवी डॉ.गुप्ता का काव्य संकलन-‘आशा की किरण’ और ‘आशा का आकाश’ प्रकाशित हो चुका है। ऐसे ही विभिन्न काव्य संकलनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में भी लेख-कविताओं का लगातार प्रकाशन हुआ है। आप भारत-अमेरिका में कई साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर पदाधिकारी तथा कई चिकित्सा संस्थानों की व्यावसायिक सदस्य भी हैं। ब्लॉग पर भी अपने भाव व्यक्त करने वाली श्रेया को प्रथम अप्रवासी सम्मलेन(मॉरीशस)में मॉरीशस के प्रधानमंत्री द्वारा सम्मान,भाषाई सौहार्द सम्मान (बर्मिंघम),साहित्य गौरव व हिंदी गौरव सम्मान(न्यूयार्क) सहित विद्योत्मा सम्मान(अ.भा. कवियित्री सम्मेलन)तथा ‘कविरत्न’ उपाधि (विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ) प्रमुख रुप से प्राप्त हैं। मॉरीशस ब्रॉड कॉरपोरेशन द्वारा आपकी रचना का प्रसारण किया गया है। विभिन्न मंचों पर काव्य पाठ में भी आप सक्रिय हैं। लेखन के उद्देश्य पर आपका मानना है कि-मातृभाषा हिंदी हृदय में वास करती है,इसलिए लोगों से जुड़ने-समझने के लिए हिंदी उत्तम माध्यम है। बालपन से ही प्रसिद्ध कवि-कवियित्रियों- साहित्यकारों को देखने-सुनने का सौभाग्य मिला तो समझा कि शब्दों में बहुत ही शक्ति होती है। अपनी भावनाओं व सोच को शब्दों में पिरोकर आत्मिक सुख तो पाना है ही,पर हमारी मातृभाषा व संस्कृति से विदेशी भी आकर्षित होते हैं,इसलिए मातृभाषा की गरिमा देश-विदेश में सुगंध फैलाए,यह कामना भी है

Leave a Reply