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‘प्रौद्योगिकी और साहित्य’ के साथ महोत्सव सम्पन्न

इंदौर(मप्र)।

कविता कोष-गद्य कोष के संस्थापक ललित कुमार के सम्मान एवं दिव्यांग विमर्श को समर्पित चार दिवसीय महोत्सव का आखिरी आयोजन देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान में हुआ। संस्थान की साहित्य समिति द्वारा आयोजित व्याख्यान ‘प्रौद्योगिकी और साहित्य’ में ललित कुमार ने भावी अभियंताओं को नवाचार,व्यवहारिक सोच और बिना परिणाम की चिंता किए अपनी तकनीकी क्षमता का उपयोग नए स्टार्ट-अप शुरु करने में करने की सलाह दी।
कौटिल्य एकेडमी एवं पद्मजा प्रकाशन द्वारा शहर की अनेक साहित्यिक-सामाजिक संस्थाओं के सहभाग से आयोजित इस समारोह ‘सम्मान सच्चे नायक का,सम्मान ललित कुमार का’ की अंतिम कड़ी विश्वविद्यालय में सम्पन्न हुई। अध्यक्षता प्रभारी निदेशक डॉ. श्रीमती वृंदा टोकेकर ने की। संयोजक आलोक वाजपेयी एवं काव्य कोश की संयुक्त निदेशक सुश्री शारदा सुमन भी उपस्थित थे। समिति के प्रमुख डॉ. शरद चौधरी ने सभी अतिथियों का अभिनंदन किया। मुख्य वक्ता ललित कुमार ने इस प्रेरक उद्बोधन में अभियंताओं से मूल सोच को व्यावहारिक जीवन में उपयोग में लाने लायक औजार में बदलने की ओर प्रयास करने का आव्हान किया। उन्होंने आव्हान किया कि वे बिना किसी असफलता से डरे मूल व्यावहारिक सोच को अपने तकनीकी ज्ञान के माध्यम से उत्पाद बनाने में लगाएं। श्री कुमार ने कहा कि आज सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में साहित्य के प्रचार-प्रसार के अभूतपूर्व अवसर हैं। ललित कुमार का परिचय आलोक बाजपेयी ने दिया। आभार डॉ. चौधरी ने माना।
#ऑनलाईन साहित्य से जोड़ने वाले को दिया सम्मान
कविता और गद्य कोष की स्थापना से करोड़ों पाठकों को ऑनलाईन साहित्य से जोड़ने वाले सच्चे नायक ललित कुमार का इस अवसर पर शीर्षस्थ साहित्यकारों की सन्निधि में सम्मान किया गया। शहर की साहित्यिक संस्थाओं ने हिंदी सहित अन्य भाषाओं का मान बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे ललित कुमार का अभिनंदन किया।

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