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आभास

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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आज हृदय में
एक अनोखी,
पीड़ का आभास है।
पुष्प की ज्यूँ
पाँखुड़ी में,
सुवास का वास है।
वेदना के अधरों पर
अनमनी-सी मुस्कान है,
व्याकुल नयनों की
छलकी गगरीl
मन की बस्ती वीरान है,
दिवस परेशान और
संध्या उदास है।
आज हृदय में
एक अनोखी,
पीड़ का आभास हैll

काँपती पलकों ने थामी
अश्रुओं की धार है,
मन की नैया डोलती
स्मृतियां मझधार है,
बैठी हूँ नदी तट पर
फिर भी बुझी नहीं
ये प्यास है।
आज हृदय में
एक अनोखी,
पीड़ का आभास हैll

अंतर्मन के पनघट पर
स्वपन्नों की गागर लिये,
चला है सूर्य अपने संग
अधखिली धूप लिये,
सूख गए सब
उम्मीद के कुँए,
रीत गयी
सपनों की गागर,
जीवन बना
परिहास हैl
आज हृदय में
एक अनोखी,
पीड़ का आभास हैll

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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