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सृष्टि और नारी

एन.एल.एम. त्रिपाठी ‘पीताम्बर’ 
गोरखपुर(उत्तर प्रदेश)

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परम सत्ता शक्ति ईश्वर,सृष्टि और नारी,
सृष्टि युग की गौरव।
प्रकृति प्रवृत्ति अनिवार्यता,
परम शक्ति की सत्ता
नारी शक्ति आधार।
ब्रम्हा,विष्णु,शंकर,
त्रिदेव,शिवा,वैष्णवी
सरस्वती परम शक्ति,
सत्ता ईश्वर की भागीदार।
सृष्टि पूर्ण तभी होती,
जब नारी प्रथम लेती अवतारl
नर-नारायण की शक्ति
में नारी शक्ति,
बराबर हिस्सेदार।
देश,काल,परिस्थिति
चाहे जो भी हो,
नारी से ही होता
क्षिति आकाश निर्माण,
नारी अनिवार्य
तथ्य,तत्व,सृष्टि
की संस्कृति और संस्कार।
देव-नारी से
नारी देव से,
अर्ध नारीश्वर
परम शक्ति सत्ता,
ईश्वर को भी
अंगीकार।
नारी स्वरूप है परम शक्ति,
सत्ता की यह भरत भारती,
दर्शन,संस्कार
नारी वर्तमान अतीत और समाज-
आत्मा स्वर,साधना
ममता,ममत्व का आँचल,
कला,काल,भाव
दुर्गा ज्वाला।
इन्दिरा,लक्ष्मीबाई
सरोजनी,कल्पना
गोल्डा,मार्गरेट,टेरेसा,
मरियम,यशोदा
सती,शीतल अंगार।
चंचल,चितवन,शोख
अदा,अन्दाज,प्यार,
मोहब्बत,कोमल
कठोर,खुशबू
खूबसूरत,सृष्टि और श्रृंगार।
घृणा,त्याग,तपस्या,
राग,रागिनि,विद्या
वादिनी,वीणा की झंकार।
जन्मदायिनी,वात्सल्य,
वैभव विशाल,कामिनी
गजगामिनी
काल कराल,
पृथ्वी पतित पावनी
सृष्टि युग समाज
का स्वाभिमान।

नारी आज खोजती
है खुद को राष्ट्र,
समाज के हर पल
प्रहर में पूछती
कौन हूँ मैं ?
क्या अस्तित्व है
मेरा हो ?
क्यों हूँ मैं बेहाल,
सभ्य समाज सभ्यता
से करती है आज
हर घर गली चौराहों
पर बेबाक सवाल
पूछती,मैं माँ भी हूँ,
बहन,बेटी,रिश्तों
के समाज में
फिर क्यों डरी
सहमी ? अपनी
सम्मान,अस्मत को
करती चीत्कार
पुकार।
कहती है नारी,
आज जन्म से पहले
ही क्यों करते हो,
मेरा नाश।
यदि जन्म ले लिया
जो हमने,करती
जीवन भर खुद के,
अस्मत अस्तित्व
के लिए संग्राम।
शिक्षा-दीक्षा हक
हुकुम की खातिर ही
जीवनभर लड़ना,
ही मेरा संसार।
सड़क,घर,गली
बाजार,चौराहों पर
डरी,सहमी,भागती,
दौड़ती,मांगती
अपना सम्मान अधिकार।
कभी स्वयं की अस्मत
को बचाने में मिट जाती,
तो कभी दहेज की
बलि वेदी पर
जिन्दा ही जल जाती,
या जला दी जाती
दहशत दासता ही
नियति हमारी।
इंसानों,इन्सानियत
के इस विकसित
समाज में आज,
कहीं ज्यादा बेबस
हूँ मैं नारी।
कहते हैं लोग मुझे
निर्भया,मैं तो लज्जा
भय की मारी,
कभी,खड़ी न्यायालय
में तो कभी बैठी,
कार्यालय में खुद
के आत्म सम्मान
की गुहार लगाती।
आँखों में सूखे,
आँसूओं सूने
आँखों से अपने,
स्वर्णिम भविष्य
की आस निहारती।
कहती है नारी,
मैं नारी
दुनिया है मुझसे,
मुझसे दुनियादारी है
हर रोज मरती और,
मिटायी जाती,बेबस
तड़प कर जीती-जाती,
फिर भी कहती है
नर की नारायण हूँ
अर्ध नारीश्वर हूँ,
हूँ मैं दुनिया सारी।
नारी के लिये नारी का कर्तव्य-
संजीदा,सभ्य,समाज
की आधार अभिमान,
हूँ मैं नारी
बहन,सखी,बेटी माँ हूँ।
नरोत्तम,सर्वोत्तम,पुरूषोत्तम
की निर्माता हूँ।
हो जाता है ऐसा भी,
कि नारी-नारी पर
ही भारी।
सन्मार्ग दिखाने से
बेहतर,अंधेरों का
मार्ग दिखा नारी,
को नारी ही बना देती
समाज की एक बीमारी,
देती।
जब तक खुद नारी,
नारी को सम्मान
नहीं देगी,खुद में
उठती भावना पीड़ा,
को दूजे नारी
से बांट न लेगी,
तब तक
नारी को सम्मान,
यथोचित नहीं मिलेगा।
नारी की गौरव गरिमा,
का आधार
नहीं बचेगा।
नारी के लिये देश युग,
समाज की जिम्मेदारी-
बेटी-बेटों को एक
समान प्यार करो,
शिक्षा-दीक्षा प्यार परवरिश
में बेटी को सम्पूर्णता
में स्वीकार करो।
बेटी को मानो तुम
लक्ष्मी,सरस्वती,
शिवा,वैष्णवी
शक्ति,साहस,शौर्य
पराक्रम जो भी
हो सम्भव,
बेटी को समाज राष्ट्र
में मजबूत निडर,निर्भीक,
नागरिक में शुमार
करो।
बहू-बेटी में फर्क
न समझो,
दहेज दानव का
नाश करो।
स्वतन्त्र,निर्भय,निडर,
समाज में बेटी,माँ
सभ्य शिक्षित,
विकसित समाज का
निर्माण करो।
‘नारी जत्र पूज्यते
रमन्ते तत्र देवता’,
की देव वाणी सन्देश
संस्कार को साकार करोll

परिचय–एन.एल.एम. त्रिपाठी का पूरा नाम नंदलाल मणी त्रिपाठी एवं साहित्यिक उपनाम पीताम्बर है। इनकी जन्मतिथि १० जनवरी १९६२ एवं जन्म स्थान-गोरखपुर है। आपका वर्तमान और स्थाई निवास गोरखपुर(उत्तर प्रदेश) में ही है। हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी और बंगाली भाषा का ज्ञान रखने वाले श्री त्रिपाठी की पूर्ण शिक्षा-परास्नातक हैl कार्यक्षेत्र-प्राचार्य(सरकारी बीमा प्रशिक्षण संस्थान) है। सामाजिक गतिविधि के निमित्त युवा संवर्धन,बेटी बचाओ आंदोलन,महिला सशक्तिकरण विकलांग और अक्षम लोगों के लिए प्रभावी परिणाम परक सहयोग करते हैं। इनकी लेखन विधा-कविता,गीत,ग़ज़ल,नाटक,उपन्यास और कहानी है। प्रकाशन में आपके खाते में-अधूरा इंसान (उपन्यास),उड़ान का पक्षी,रिश्ते जीवन के(काव्य संग्रह)है तो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-भारतीय धर्म दर्शन अध्ययन है। लेखनी का उद्देश्य-समाज में व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करना है। लेखन में प्रेरणा पुंज-पूज्य माता-पिता,दादा और पूज्य डॉ. हरिवंशराय बच्चन हैं। विशेषज्ञता-सभी विषयों में स्नातकोत्तर तक शिक्षा दे सकने की क्षमता है।

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