सुखमिला अग्रवाल ‘भूमिजा’
मुम्बई(महाराष्ट्र)
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इंसान का इंसान से,संवाद होना चाहिए,
दिल की दूरियों का,उपचार होना चाहिए।
आज का इंसान हो गया,ईर्ष्या से लाचार,
दिखता नहीं अब कहीं,जगत में सदाचार
संस्कारों का अब तो,अभिनंदन होना चाहिए-
दिल की दूरियों का,उपचार होना चाहिए…।
दरारे कैसी हैं पड़ी,आज हमारी राहों में,
आवाजें भी दब गई,कपट के कोलाहल में
मधुर मधुर धुनों का अब तो,आगाज़ होना चाहिए-
दिल की दूरियों का,उपचार होना चाहिए…।
इंसानियत पर हैवानियत का राज है,
झूठे के सर पर तो,सजा सुनहरी ताज है
अब मर्यादाओं का,पालन होना चाहिए-
दिल की दूरियों का,उपचार होना चाहिए…।
इंसान का इंसान से,संवाद होना चाहिए,
दिल की दूरियों का,उपचार होना चाहिए…॥