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मत भूलो अपनी संस्कृति

गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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कल रात सपने में आया ‘कोरोना’…
उसे देख जो मैं डर गया,
तो मुस्कुरा के बोला-‘मुझसे डरो ना।’
उसने कहा-‘कितनी अच्छी है तुम्हारी संस्कृति,
न चूमते,न गले लगाते
दोनों हाथ जोड़ कर हो स्वागत करते।
मुझसे डरो ना…

कहाँ से सीखा तुमने ?
रूम स्प्रे,बॉडी स्प्रे,
पहले तो तुम धूप,दीप,कपूर
अगरबत्ती,लोहान जलाते थे,
वही करो ना।
मुझसे डरो ना…

शुरू से तुम्हें सिखाया गया,
अच्छे से हाथ-पैर धोकर घर में घुसो
मत भूलो अपनी संस्कृति,
वही करो ना।
मुझसे डरो ना…

उसने कहा,-‘सादा भोजन उच्च विचार’,
यही तो हैं तेरे संस्कार
उन्हें छोड़ जंक फूड,फ़ास्ट फूड,
के चक्कर में पड़ो ना।
मुझसे डरो ना…

उसने कहा,-‘शुरू से ही मूक जानवरों को,
पाला-पोसा,प्यार दिया
रक्षण की है तुम्हारी संस्कृति,
उनका भक्षण करो ना।
मुझसे डरो ना…

कल रात मेरे सपने में आया कोरोना,
बोला-‘मुझसे डरो ना॥’

परिचय-गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”

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