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आँसूओं को सिर्फ पानी मत समझिए

कमल किशोर दुबे कमल 
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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(रचनाशिल्प:बह्र -फ़ाइलातुन×४)

मुफ़लिसों के आँसूओं को सिर्फ पानी मत समझिए।
बात है ये खास बेशक़ आनी’-जानी मत समझिए।

ग़म बहुत,खुशियाँ बहुत कम,साल बीता दे गया है,
काम सब अच्छे करें हम,बदगुमानी मत समझिए।

आह गर निर्बल की निकली,राख कर देगी तुझे,
इल्तिज़ा है आप यह कल्पित कहानी मत समझिए।

दोष नारी पर लगा दुष्कर्म करता आदमी क्यों,
छोड़ दे इंसानियत तो ज़िंदगानी मत समझिए।

गर करे कोई हिमाक़त दण्ड मिलना है ज़रूरी,
अस्मिता से खेलने को छेड़खानी मत समझिए।

एक दिन गिरता कुँए में खोदता जो और को है,
मौत का है दिन मुक़र्रर मुँह-जुबानी मत समझिए।

निभ सके कैसे मुहब्बत,सिर्फ वादों में ‘कमल’ जी,
बेवफ़ाई जो करे तो,ख़ानदानी मत समझिए॥

परिचय-कमल किशोर दुबे का साहित्यिक उपनाम-कमलहैl आपकी जन्मतारीख २६ दिसम्बर १९५८ और जन्म स्थान- पिपरिया(जिला-होशंगाबाद,म.प्र.) हैl वर्तमान में भोपाल स्थित होशंगाबाद रोड पर निवासरत हैंl मध्यप्रदेश निवासी श्री दुबे ने बी.एस-सी.सहित एल.एल.बी.,बी.जे.एम.सी. और एम.सी.जे.(पत्रकारिता)की उपाधि प्राप्त की हैl इनका कार्यक्षेत्र-भारतीय रेल में वरिष्ठ जन सम्पर्क अधिकारी (सेवानिवृत्त) का रहा हैl सामाजिक गतिविधि के अंतर्गत आपके द्वारा व्यक्तित्व विकास हेतु प्रेरणा एवं साहित्य लेखन जारी हैl लेखन विधा-गीत,ग़ज़ल, व्यंग्य लेख तथा कहानी है। प्रकाशन के निमित्त-पंखुड़ियाँ गुलाब की(काव्य संग्रह-२००४),दोषी कौन (कहानी संग्रह-२००४),मुहब्बत का चिराग़ (ग़ज़ल संग्रह-२०१४)सहित गधा यहीं का(व्यंग्य संग्रह-२०१७) किताबें आ चुकी हैं तो श्रीहरि सरल गीता( श्रीमद्भगवद्गीता का दोहे-चौपाई में हिन्दी काव्यानुवाद प्रकाशन हेतु तैयार हैl आपकी रचनाओं प्रकाशन विभिन्न दैनिक समाचार पत्र-पत्रिकाओं में हुआ है। आपको प्राप्त सम्मान में सुधा वाणी सम्मान,साहित्य मनीषी सम्मान,पवैया पुरस्कार तथा कादम्बिनी साहित्य अलंकरण प्रमुख हैंl विशेष उपलब्धि-मध्य प्रदेश शासन की सुप्रसिद्ध `लाड़ली लक्ष्मी` योजना के विज्ञापन-वर्ष 2008 में बेटियाँ कविता का उपयोग,पश्चिम रेल विभाग की पत्रिकाओं का सम्पादन एवं भोपाल के चर्चित कवि-२०१० में सम्मिलित होना हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-समाज में फैली भ्रांतियों,भ्रष्टाचार,सामाजिक विद्रूपताओं,विसंगतियों को उजागर करना तथा समाज में विकासोन्मुखी,सांस्कृतिक,राष्ट्रीयता की भावना की प्रेरणा और विकास करना है। आपकी लेखनी के लिए प्रेरणा पुंज-जन महाकवि गोपालदास `नीरज`,गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि आचार्य श्रीराम शर्मा और जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज हैं। श्री दुबे की विशेषज्ञता-जनसम्पर्क,ग़ज़ल एवं व्यंग्य लेखन में है। रुचियाँ -साहित्य लेखन,पढ़ना-पढ़ाना,कवि सम्मेलनों-काव्य गोष्ठियों में भागीदारी है।

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