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दोयम दर्जा

मधु मिश्रा
नुआपाड़ा(ओडिशा)
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एक दिन मैं अपनी सहेली श्रुति से मिलने गयी,वो एक इंग्लिश मीडियम हाईस्कूल में हिंदी की शिक्षक है l मैं जब उसके घर पहुँची तब वो नौवीं और दसवीं कक्षा के हिन्दी के पर्चे जाँच रही थीl बातों ही बातों में मैंने भी एक बच्चे का पर्चा उठा लिया और पढ़ने लगीl आश्चर्यजनक…उस बच्चे ने तो बहुत ग़लत हिन्दी लिखी थी,दूसरा उठाया तो उस बच्चे ने भी ऊट-पटांग जवाब लिखा थाl उत्सुकतावश,मैंने २-४ उत्तरपुस्तिका और पढ़ डाली,जिसमें जवाब तो ग़लत-सलत थे ही,व्याकरण की तो बच्चों ने तो धज्जियाँ ही उड़ा दी थी,पर मैंने ग़ौर किया श्रुति निर्विकार भाव से उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा अंक देती चली जा रही हैl मैंने रोष व्यक्त करते हुए उससे कहा- “इतने अंक कैसे दे रही है तू! मुझे तो नहीं लगता कि इन्हें १०-१२ से भी ज़्यादा अंक मिलने चाहिएl”
तो वो बड़ी सहजता से कहने लगी-“देना पड़ता है यार…! नहीं तो विद्यालय का परिणाम ख़राब हो जाएगा!”
“तो तू क्या पढ़ाने जाती है,साल की शुरूआत से तुझे सख्ती बरतनी चाहि!” मैंने गुस्से में उससे कहाl
“तू ठीक कह रही है,पर बच्चे करना ही नहीं चाहतेl वो तो अपना सारा ध्यान इंग्लिश में ही देते हैंl मालूम है! मेरी जब विद्यालय में नियुक्ति हुई तब शुरू-शुरू में मैं हिंदी को लेकर बच्चों के साथ ज़्यादा सख्ती से पेश आती थी,पर मेरी कोशिश नाकाम रही…और धीरे-धीरे मैं ये भी जान गई कि परिश्रम करना व्यर्थ है!”
“ओह,तो हिन्दी को दूसरी श्रेणी में हम ही खड़ी कर रहे हैं…l” मैंने अपनी चिंता जताईl
“यही वक़्त की माँग है,ये कह सकती होl अच्छा चल जाने दे न,तू क्या कर रही है बताl” कहती हुई श्रुति ने अपनी बातों का प्रवाह बदल दियाl

परिचय-श्रीमती मधु मिश्रा का बसेरा ओडिशा के जिला नुआपाड़ा स्थित कोमना में स्थाई रुप से है। जन्म १२ मई १९६६ को रायपुर(छत्तीसगढ़) में हुआ है। हिंदी भाषा का ज्ञान रखने वाली श्रीमती मिश्रा ने एम.ए. (समाज शास्त्र-प्रावीण्य सूची में प्रथम)एवं एम.फ़िल.(समाज शास्त्र)की शिक्षा पाई है। कार्य क्षेत्र में गृहिणी हैं। इनकी लेखन विधा-कहानी, कविता,हाइकु व आलेख है। अमेरिका सहित भारत के कई दैनिक समाचार पत्रों में कहानी,लघुकथा व लेखों का २००१ से सतत् प्रकाशन जारी है। लघुकथा संग्रह में भी आपकी लघु कथा शामिल है, तो वेब जाल पर भी प्रकाशित हैं। अखिल भारतीय कहानी प्रतियोगिता में विमल स्मृति सम्मान(तृतीय स्थान)प्राप्त श्रीमती मधु मिश्रा की रचनाएँ साझा काव्य संकलन-अभ्युदय,भाव स्पंदन एवं साझा उपन्यास-बरनाली और लघुकथा संग्रह-लघुकथा संगम में आई हैं। इनकी उपलब्धि-श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान,भाव भूषण,वीणापाणि सम्मान तथा मार्तंड सम्मान मिलना है। आपकी लेखनी का उद्देश्य-अपने भावों को आकार देना है।पसन्दीदा लेखक-कहानी सम्राट मुंशी प्रेमचंद,महादेवी वर्मा हैं तो प्रेरणापुंज-सदैव परिवार का प्रोत्साहन रहा है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिन्दी मेरी मातृभाषा है,और मुझे लगता है कि मैं हिन्दी में सहजता से अपने भाव व्यक्त कर सकती हूँ,जबकि भारत को हिन्दुस्तान भी कहा जाता है,तो आवश्यकता है कि अधिकांश लोग हिन्दी में अपने भाव व्यक्त करें। अपने देश पर हमें गर्व होना चाहिए।”

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