मुद्दा-वेबिनार बनाम अपने शब्द
प्रो.डॉ. अरविन्द कुमार गुप्ता (कर्नाटक)-
मेरे विचार में भी ई-गोष्ठी
होना चाहिए,क्योंकि हम आमतौर पर सामूहिक परिचर्चा के लिए गोष्ठी शब्द का ही प्रयोग करते हैं और ई का प्रयोग उपसर्ग के रूप में हम एक लंबे समय से तकनीक के प्रयोग के लिए करते आ रहे हैंl जैसे- डिजिटल पुस्तक के लिए ई-पुस्तक,डिजिटल लाइब्रेरी के लिए ई-ग्रन्थालय शब्दों का प्रयोग होता रहा है,थोड़ा और संशोधन चाहें तो ई-संगोष्ठी प्रयोग किया जा सकता है।
मधुसूदन नायडू(महाराष्ट्र)-
वेबिनार
केवल सेमिनार के लिए नहीं होता,इसके अलावा विपणन के काम में आता हैl उसके लिए ई-संगोष्ठी से काम नहीं चलेगा।
राहुल खटे(महाराष्ट्र)-
ई-संगोष्ठी
ही योग्य शब्द है,क्योंकि यह न केवल वर्तमान के लिए बल्कि भविष्य में भी चलने योग्य है। ‘ई-ऑफिस’,’ई-कार्यशाला’,’ई-संगोष्ठी’,’ई-बैठक’, ‘ई-गोष्ठी’ से ई-संगोष्ठी समीचीन लगता है।
मोहन के. गौतम-
ई
भी तो अंग्रेज़ी का ही शब्द है। शब्दों को अपनाने से भाषा की उन्नति ऊँची होती है। हमारी हिंदी में भारतीय भाषाओं के साथ पुर्तगाली,फ़्रांसीसी,डच,फ़ारसी, तुर्की,अरबी से भी बहुत से शब्द अपना लिए गए हैं। आप इन शब्दों को निकाल कर बोलें तो आपका सम्प्रेषण नहीं होगा। इन संकुचित विचारों से शायद आप तो ख़ुश होंगे,पर अन्य लोग नहीं। यदि भारत से कोई नाम निकला होता तो अन्य देशों में वह भी अपनाया जाता।
मोहनलाल मीणा-
हिंदी के भाषाविदों ने इसके लिए वेबसंगोष्टी
शब्द सुझाया है जो अंगरेजी के वेबिनार का सर्वमान्य और शाब्दिक एवं भावार्थ के अनुरूप है। मेरे विचार से इस पर ज्यादा सोच-विचार की कोई गुंजाइश नहीं है। यह काफी समय से प्रचलन में भी है।
वाई.सी पांडेय-
अंतर्जाल-संगोष्ठी या अंतर्संगोष्ठी।
कमलकांत त्रिपाठी-
ई-संगोष्ठी
से सहमत हूँ। वैसे ई का पुछल्ला इसमें भी लगा ही हुआ है। हम वेबिनार को हिंदी का एक नया शब्द भी तो मान सकते हैं। संज्ञाएं संपर्क में आनेवाली भाषाओं में उछल-कूद मचाती रहती हैं और एक दूसरी से संज्ञाएं ग्रहण करती रहती हैं। हिंदी में हजारों शब्द अरबी,फारसी, तुर्की से लेकर आत्मसात कर लिए गए हैं। इसलिए जो चल पड़ा,सो चल पड़ा। लोगों पर जबरन कोई चीज न थोपी जा सकती है,न निषेध लागू किया जा सकता है।
प्रमोद दुबे-
भाई शब्द ऐसा हो कि सभी समझ सके। इसलिए ई-संगोष्ठी
ज्यादा उचित प्रतीत होता है।
राहुल मिश्र-
हमने विगत २२ जून को अंतरराष्ट्रीय अंतर्जालिक परिसंवाद
का संयोजन किया था।
अंजनि कुमार ओझा-
सही है सर जी। हम यही ई-संगोष्ठी
कहते हैं।
रामराज्य शर्मा-
सही कहा। यही ई-संगोष्ठी
होना चाहिए। आज से हम-आप इसी शब्द का प्रयोग शुरू कर दें।
मृणालिका ओझा-
हम ई संगोष्ठी
के पक्षधर हैं।
अनुश्री प्रिया-
ई-संगोष्ठी
उचित रहेगा।
तुषार कांति-
जो प्रचलित है,अपनाने से भाषा समृद्ध ही होगी। घोंघा बसंत हो कर तुलसी भी राम चरित मानस न रच पाते।
शकुंतला चौहान-
सही कहा आपने। ई-संगोष्ठी
ही कहना चाहिए।
अंजना चौधरी-
मेरे विचार से ई-संगोष्ठी
एक सटीक शब्द है।
यह भी सहमत-
इन विद्वानों ने भी ई-संगोष्ठी शब्द पर अपनी सहमति प्रेषित की है-
श्रीमती संपत देवी(मुरारका),विश्व वात्सल्य मंच(हैदराबाद),प्रसाद कोचरेकर, डॉ. जगदीशचंद्र,पी.के. अग्रवाल,अनिल आर्य,डॉ. सतविर सिंह,इरा गुप्ता, बालमुकुंद पुरोहित,शेख वहाब,शरद यादव,डॉ. सतवीर सिंह,जगजीत कुमार गुप्ता,मनोज शुक्ला,सतपाल कौर आदि।
संयोजक मंतव्य-
अगर केवल अनुवाद के माध्यम से तत्काल वेबिनार
के लिए शब्द बनाना है तो सेमिनार के पर्याय के रूप में वेब में संगोष्ठी जोड़ते हुए शब्द बना लेना एक आसान काम है। मुझे भी पहले यही सूझा था पर और अधिक विचार किया तो लगा कि व्यापकता का शब्द लेना उचित होगा। हमें भविष्य को ध्यान में रखते हुए और विभिन्न वर्तमान-भावी विभिन्न माध्यमों और अन्य संबंधित शब्दों को ध्यान में रखते हुए यदि सोचना है तो वेब शब्द के बजाए ई-संगोष्ठी
शब्द को अपनाना बेहतर लगता है। इससे भविष्य में भी आवश्यकतानुसार ‘ई’ उपसर्ग के साथ अन्य शब्दों के साथ जोड़ कर नए शब्द बनाए जा सकेंगे। वेब का प्रयोग सब जगह नहीं किया जा सकता। हो सकता है भविष्य में ऐसे माध्यम भी आएँ,जो वेब आधारित न हों। वर्तमान में भी विभिन्न अर्थछायाओं के साथ वर्तमान में प्रयुक्त हो रहे वेब, वर्च्युअल,वीडियो तथा ऑनलाइन आदि से बनने वाले ऐसे सभी शब्दों को ‘ई’ उपसर्ग के साथ हिंदी शब्द जोड़कर प्रयोग किया जा सकता है। ध्यान रहे ‘ई’ में ‘वेब’ है,’वेब’ में ‘ई’ नहीं। यदि हम सीमित से जुड़ गए तो हमें हर बार अंग्रेजी में प्रयुक्त शब्दों का अनुवाद करते हुए अलग-अलग शब्द बनाने पड़ेंगे। आखिरकार,चलेगा तो वही जो जन-जन को होगा स्वीकार,हम भी उसे ही करेंगे स्वीकार।
(सौजन्य:वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)