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हर दिन मर्दन होगा महिषासुर का

देवश्री गोयल
जगदलपुर-बस्तर(छग)
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तप किए लाखों बरस,
जप किए करोड़ों बरस…
तब जाकर ‘शिवानी’ बनी,
बेलपर्ण खाकर…
हिम में नहाकर,
अग्नि में जलकर…
रीतियों को तोड़ कर,
ऋतुओं को छोड़ कर…
जगत जननी बनी…।
मेरी देह के टुकड़े,
पूरी भारत भूमि में…
आज भी मेरी शक्ति का,
मेरी सत्यता का…
बोध कराने के लिए,
हर कन्या हर नारी में…
विद्यमान है।
किंतु तुम भूल रहे हो मुझे,
भूल पर भूल,अत्याचार…
और कुकर्म करके तुम,
शायद अपनी जीत का…
जश्न मना लेते हो…।
मैं रणचंडी हूँ,
ये याद दिलाने में…
तुम बहुत सफल हुए हो,
अब हर दिन मर्दन होगा…
महिषासुर का।
हर दिन रावण जलेगा,
अपनी उपस्थिति बताने…
शीघ्र ही आ रही हूँ,
शिव तो बन नहीं सकते…।
तुमको शव बनाने…,
शिवानी आ गयी हूँ…॥

परिचय-श्रीमती देवश्री गोयल २३ अक्टूबर १९६७ को कोलकाता (पश्चिम बंगाल)में जन्मी हैं। वर्तमान में जगदलपुर सनसिटी( बस्तर जिला छतीसगढ़)में निवासरत हैं। हिंदी सहित बंगला भाषा भी जानने वाली श्रीमती देवश्री गोयल की शिक्षा-स्नातकोत्तर(हिंदी, अंग्रेजी,समाजशास्त्र व लोक प्रशासन)है। आप कार्य क्षेत्र में प्रधान अध्यापक होकर सामाजिक गतिविधि के अन्तर्गत अपने कार्यक्षेत्र में ही समाज उत्थान के लिए प्रेरणा देती हैं। लेखन विधा-गद्य,कविता,लेख,हायकू व आलेख है। इनकी लेखनी का उद्देश्य-हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार करना है,क्योंकि यह भाषा व्यक्तित्व और भावना को व्यक्त करने का उत्तम माध्यम है। आपकी रचनाएँ दैनिक समाचार पत्र एवं साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं। आपके पसंदीदा हिंदी लेखक-मुंशी प्रेमचंद एवं महादेवी वर्मा हैं,जबकि प्रेरणा पुंज-परिवार और मित्र हैं। देवश्री गोयल की विशेषज्ञता-विचार लिखने में है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हिंदी भाषा हमारी आत्मा की भाषा है,और देश के लिए मेरी आत्मा हमेशा जागृत रखूंगी।”

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