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उत्सव मकर संक्रांति

नमिता घोष
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)
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मकर सक्रांति स्पर्द्धा विशेष….

फर-फर उड़े रंगीली पतंग
उल्टी हवा की दिशा से,
बदले सूरज अपना मार्ग
आज मकर संक्रांति की सुबह से।

इंसानों में आई है उत्सव की उमंग
प्रेम,श्रद्धा-भक्ति पूजन के संग,
मकर संक्रांति एक उत्सव संगी-
बांधे है पूरे भारत को एक ही तार से सभीl

नाम से अलग होते हुए उत्सव है संक्रांति
दक्षिण में पोंगल,पंजाब में लोहड़ी,
तिल-गुड़ घेया-महाराष्ट्र में संक्रांति
कहते हुए करते हैं अभिवादन गोड़ गोड़ बोला,
रस-रंग के संग पतंग उड़े हमारी।

तिल और गुड़ को खाओ संगी
साल भर मीठा मीठा बोलो संगी,
चलो चलते हैं हरिहर खेत संगी-
जहाँ पकते सरसों के साग संगी।

जाड़े की ठिठुरन में कंडे से हाथ-पाँव सेकें संगी
सूरज देवता को जल चढ़ाएं संगी,
तिल-गुड़ का फाका लगा संगीl
मिल-जुल कर मनाएं संक्रांति संगी,
प्रार्थना,ईश्वर से सबके लिए सुख और शांतिll

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