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दु:ख का सैलाब

मीरा जैन
उज्जैन(मध्यप्रदेश)

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दोस्तों के बीच अर्पित को क्रोधित स्वर में सुनीति के लिए अनाप- शनाप बोलता देख सभी आश्चर्यचकित थे,आखिरकार सोमिल ने पूछ ही लिया-
“क्या बात है यार! तुम तो हमेशा से सुनीति के बहुत बड़े प्रशंसक रहे होl उसके हर कार्य की तारीफ तुम्हारी आदत में शामिल हैl आज सुनीति ने ऐसी कौन-सी बड़ी भारी गलती कर दी,जो तुम उससे अचानक इतनी नफरत करने लगे ?”
अर्पित का गुस्सा पुनः फूटा-
‘नाम मत लो उसकाl’
सभी दोस्त व्यथित हो उस पर सत्यता उजागर करने हेतु दबाव डालने लगेl अंततः,अर्पित ने वास्तविकता बताते हुए कहा-

“दोस्तों! शराफत की भी हद होती हैl आज उसने मुझे भैया कह दियाl”

परिचय-श्रीमति मीरा जैन का जन्म २ नवम्बर को जगदलपुर (बस्तर)छत्तीसगढ़ में हुआ है। शिक्षा-स्नातक है। आपकी १००० से अधिक रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से व्यंग्य,लघुकथा व अन्य रचनाओं का प्रसारण भी हुआ है। प्रकाशित किताबों में-‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं (२००३)’ सहित ‘१०१ लघुकथाएं’ आदि हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-वर्ष २०११ में ‘मीरा जैन की सौ लघुकथाएं’ हैं। आपकी पुस्तक पर विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन) द्वारा शोध कार्य करवाया जा चुका है,तो अनेक भाषा में रचनाओं का अनुवाद एवं प्रकाशन हो भी चुका है। पुरस्कार में अंतर्राष्ट्रीय,राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय कई पुरस्कार मिले हैं। प्राइड स्टोरी अवार्ड २०१४,वरिष्ठ लघुकथाकार साहित्य सम्मान २०१३ तथा हिंदी सेवा सम्मान २०१५ से भी सम्मानित किया गया है। २०१९ में भारत सरकार के विद्वानों की सूची में आपका नाम दर्ज है। श्रीमती जैन कई संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं। बालिका-महिला सुरक्षा,उनका विकास,कन्या भ्रूण हत्या एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि कई सामाजिक अभियानों में भी सतत संलग्न हैं।

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