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आदमी जैसा भगवान

डाॅ. मधुकर राव लारोकर ‘मधुर’ 
नागपुर(महाराष्ट्र)

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एक आधुनिक भक्त,
जब थका,टूटा-सा।
पहुँचा,भगवान के द्वार,
मंदिर में देखा,बंद हैं भगवान।
निरन्तर आँसूओं का,प्रवाह लिए,
हृदय में,भक्ति भाव लिए।
स्वर में विवशता,मन में चाहत,
सब पाने की,लालसा में।
आवाज़ देने लगा,
चौखट में सिर,फोड़ने लगा।
भगवान ने देखा,परखा,
मुस्कुराए और बोले-,
क्यों आया है,मूर्ख यहां ?
जाता क्यों नहीं,धरती के,
भगवान,रहते हैं जहां।
भक्त लगा कहने-,
प्रभु दया करो।
जब धरती के,भगवान,
ना कर सके निदान
तो शरण आया श्रीमान।
करो मेरी सहायता,
नहीं तो मैं बन जाऊंगा।
नेता,व्यापारी या अधिकारी,
लोग मेरी,जयकार करेंगे
तुम जैसों को,बंद रखेंगे।
कोई नाम ना,लेने वाला रहेगा,
पूजने की छोड़ो,पानी
को भी ना,कोई पूछेगा।
हो जाएगी,सूनी धरती,
ऊपर के भगवान से।
चहुंओर,दुराचार फैलेगा,
नीचे के,शैतान से।
लगे सोचने भगवान…
कब तक,बर्दाश्त करूंगा!
कभी तो मुझे,बंद दरवाजा,
खोलना होगा,अपनी पहचान
को तो कायम,रखना होगा।
कहा जा,आधुनिक भक्त
सावधान कर,पहचान बदलेगी,
धरती के भगवान की।
अब होंगे भगवान,
दुर्लभ लोग,सत्ता परिवर्तन
होगा और जय होगी,
आदमी जैसे,भगवान कीll

परिचय-डाॅ. मधुकर राव लारोकर का साहित्यिक उपनाम-मधुर है। जन्म तारीख़ १२ जुलाई १९५४ एवं स्थान-दुर्ग (छत्तीसगढ़) है। आपका स्थायी व वर्तमान निवास नागपुर (महाराष्ट्र)है। हिन्दी,अंग्रेजी,मराठी सहित उर्दू भाषा का ज्ञान रखने वाले डाॅ. लारोकर का कार्यक्षेत्र बैंक(वरिष्ठ प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त)रहा है। सामाजिक गतिविधि में आप लेखक और पत्रकार संगठन दिल्ली की बेंगलोर इकाई में उपाध्यक्ष हैं। इनकी लेखन विधा-पद्य है। प्रकाशन के तहत आपके खाते में ‘पसीने की महक’ (काव्य संग्रह -१९९८) सहित ‘भारत के कलमकार’ (साझा काव्य संग्रह) एवं ‘काव्य चेतना’ (साझा काव्य संग्रह) है। विविध पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी को स्थान मिला है। प्राप्त सम्मान-पुरस्कार में मुंबई से लिटरेरी कर्नल(२०१९) है। ब्लॉग पर भी सक्रियता दिखाने वाले ‘मधुर’ की विशेष उपलब्धि-१९७५ में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण(मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व) है। लेखनी का उद्देश्य-हिन्दी की साहित्य सेवा है। पसंदीदा लेखक-मुंशी प्रेमचंद है। इनके लिए प्रेरणापुंज-विदर्भ हिन्दी साहित्य सम्मेलन(नागपुर)और साहित्य संगम, (बेंगलोर)है। एम.ए. (हिन्दी साहित्य), बी. एड.,आयुर्वेद रत्न और एल.एल.बी. शिक्षित डाॅ. मधुकर राव की विशेषज्ञता-हिन्दी निबंध की है। अखिल भारतीय स्तर पर अनेक पुरस्कार। देश और हिन्दी भाषा के प्रति विचार-
“हिन्दी है काश्मीर से कन्याकुमारी,
तक कामकाज की भाषा।
धड़कन है भारतीयों की हिन्दी,
कब बनेगी संविधान की राष्ट्रभाषा॥”

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