विजय कुमार
मणिकपुर(बिहार)
******************************************************************
कई सदियाँ बीत गई
फूलों में महक न गई,
सूरज में वही रोशनी-
पर तपन न गई।
चन्द्रमा की कंचन थाल पर
अंधेरा भी थरथरा गया,
दिन के उजाले में-
सितारे भी चरमरा गए।
बदलती दुनिया में
सब-कुछ बदल गया,
माँ रोती रही-
बहू भी घर छोड़ गई।
बेटा बेटा न रहा
मोबाइल में सिमट गया,
चला था तकदीर बदलने-
तस्वीर बदलकर आ गया।
जवानी में चश्मा
आँखों पे चढ़ गया,
शरीर पर वस्त्र भी-
थोड़ा कम पड़ गयाl
पिता का सपना
चकनाचूर हो गया,
बेटा भी अपने गांव में-
मशहूर हो गयाll
परिचय–विजय कुमार का बसेरा बिहार के ग्राम-मणिकपुर जिला-दरभंगा में है।जन्म तारीख २ फरवरी १९८९ एवं जन्म स्थान- मणिकपुर है। स्नातकोत्तर (इतिहास)तक शिक्षित हैं। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन (शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में समाजसेवा से जुड़े हैं। लेखन विधा-कविता एवं कहानी है। हिंदी,अंग्रेजी और मैथिली भाषा जानने वाले विजय कुमार की लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक समस्याओं को उजागर करना एवं जागरूकता लाना है। इनके पसंदीदा लेखक-रामधारीसिंह ‘दिनकर’ हैं। प्रेरणा पुंज-खुद की मजबूरी है। रूचि-पठन एवं पाठन में है।