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गुरु पूर्ण भगवान

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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शिक्षक दिवस विशेष………..

मात-पिता ने
जन्म दिया,
गुरु ने दिया है ज्ञान-
गुरु ही पूर्ण भगवान।

गुरु ही मेरा
ब्रह्मा,विष्णु,
गुरु ही शिव का ध्यान-
गुरु ही पूर्ण भगवान।

गुरु से ऊँचा
और न कोई,
गुरु जग में महान-
गुरु ही पूर्ण भगवान।

गुरु से है
जीवन में उजाला,
गुरु मेरी पहचान-
गुरु ही पूर्ण भगवान।

गुरु ज्ञान
जीवन में उतारो,
गुरु का कहना मान-
गुरु ही पूर्ण भगवान।

गुरु बिन ज्ञान
नहीं मिलता है,
गुरु गुणों की खान-
गुरु ही पूर्ण भगवान।

गुरु से बढ़कर
और न कोई,
गुरु हैं मेरा जहान-
गुरु ही पूर्ण भगवान।

सिर्फ़ शिक्षक दिवस
पर ही नहीं,
हमेशा करो सम्मानl
गुरु ही पूर्ण भगवानll

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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