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हे त्रिपुरारी,सुन लो पुकार

डॉ.सरला सिंह
दिल्ली
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हे शिव शम्भू नमः शिवाय्,
जगपालक जगत विधाता।
दुर्गापति जय जनक गणेश के,
स्कन्द पिता जय नमः शिवाय्।

हे शिव,संहारक दुर्जन के तुम,
हे केदारनाथ जय नमः शिवाय्l
त्रिपुरारी शंकर गंगाधर प्रभु जी,
जय त्रिनेत्र ओउम् नमःशिवाय्।

हे भोले भंडारी जगपति स्वामी,
विश्वविधाता शिव नमः शिवाय्।
दुर्जन मर्दन करने वाले प्रभु जी,
आओ अब तो जग में हे शिव।

देखो जग में दुर्जन की बाढ़ है आई,
हे शशिशेखर हो अब तो सहायी।
भोले बाबा देखो जरा दुनिया को,
आओ छोड़ कैलाश जगत में अब।

कैलाशपति जरा जग को निहारो,
कैसी दशा देखो ना त्रिपुरारि प्रभु।
माँ दुर्गे को साथ ले आना शिव जी,
गणेश स्कन्द की भी भारी जरुरत।

कुछ दिन छोड़ो केदार भी जाना,
वैद्यनाथ अब जगत की सुधि लोl
बड़े-बड़े राक्षस संहारे प्रभु तुमने,
अब देखो नये राक्षस हैं पनपे।

अब देखो जरा झांक जगत को,
दौड़े-दौड़े आओगे खुद शिव शम्भू।
सुन लो पुकार ओउम् नमः शिवाय्,
मत देर करो अब भई देर बहुत है।

करुणानिधि करुणा के सागर प्रभु,
करो जग पे दया हे शिवशम्भू।
ले त्रिशूल निज शक्ति दिखा दो,
दुर्जन को जग से दूर भगाओll

परिचय-आप वर्तमान में वरिष्ठ अध्यापिका (हिन्दी) के तौर पर राजकीय उच्च मा.विद्यालय दिल्ली में कार्यरत हैं। डॉ.सरला सिंह का जन्म सुल्तानपुर (उ.प्र.) में ४अप्रैल को हुआ है पर कर्मस्थान दिल्ली स्थित मयूर विहार है। इलाहबाद बोर्ड से मैट्रिक और इंटर मीडिएट करने के बाद आपने बीए.,एमए.(हिन्दी-इलाहाबाद विवि), बीएड (पूर्वांचल विवि, उ.प्र.) और पीएचडी भी की है। २२ वर्ष से शिक्षण कार्य करने वाली डॉ. सिंह लेखन कार्य में लगभग १ वर्ष से ही हैं,पर २ पुस्तकें प्रकाशित हो गई हैं। आप ब्लॉग पर भी लिखती हैं। कविता (छन्द मुक्त ),कहानी,संस्मरण लेख आदि विधा में सक्रिय होने से देशभर के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख व कहानियां प्रकाशित होती हैं। काव्य संग्रह (जीवन-पथ),२ सांझा काव्य संग्रह(काव्य-कलश एवं नव काव्यांजलि) आदि प्रकाशित है।महिला गौरव सम्मान,समाज गौरव सम्मान,काव्य सागर सम्मान,नए पल्लव रत्न सम्मान,साहित्य तुलसी सम्मान सहित अनुराधा प्रकाशन(दिल्ली) द्वारा भी आप ‘साहित्य सम्मान’ से सम्मानित की जा चुकी हैं। आपकी लेखनी का उद्देश्य-समाज की विसंगतियों को दूर करना है।

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