मदन गोपाल शाक्य ‘प्रकाश’
फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)
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आए जब ऋतुराज बसंत,
सुंदर सजग भूमि अत्यंत।
हरी-भरी फसलें लहरातीं,
चिड़िया मीठे गीत सुनातीं।
महक धरा पर सुंदर मोहत,
बड़ी अनोखी सुषमा सोहत।
पुष्पों की जो लहराती पंक्ति,
आए जब ऋतुराज बसंत।
धरती करे श्रंगार अनोखा,
हरित क्रांति रूप अनोखा।
बालक बूढ़े सुखी हैं संत,
आए जब ऋतुराज बसंत।
पुष्प कली खिलें अति सुंदर,
शोभा देते पंक्ति में खिल कर।
निशा सुशोभित तारे झिलमिल,
चंद्रमा से रोशन जग महफिल।
सुंदर दिखता चंद्र चित्त,
आए जब ऋतुराज वसंत॥