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ये कैसी मोहब्बत हुई है

अंतुलता वर्मा ‘अन्नू’ 
भोपाल (मध्यप्रदेश)
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हर बार सोचती हूँ,
जब तुम अहंकार से भर जाते हो
और मेरा तिरस्कार करते हो,
जब छोटी-छोटी बातों पर
तुम दिल मेरा तोड़ देते हो,
मुँह मुझसे मोड़ लेते हो
दर्द से छन्नी कर देते हो,
मेरे मन को…
तोड़ देते हो मेरे आत्मबल को।
तब सोचती हूँ,
अब न चाहूंगी तुम्हें
नफ़रत से खुद को भर लूँगी,
दिल से तुम्हें मिटा दूँगी
इस अपमान को न भुला पाऊँगी,
फिर से न ये सह पाऊँगी
खुद से दूर तुमको कर दूंगी,
फिर कभी न मैं ऐसी बिखरूँगी,
पर न जाने क्यों…
चाह कर भी तुमको भुला नहीं पाती,
हर जगह तुम को ही मैं पाती।
वो मीठी-सी यादें,
तेरी प्यार भरी बातें
जो भारी हैं,
तेरे इस तिरस्कार से
कहीं ज्यादा भारी,
जिसे नफरत भी हरा न सकी
मेरी दिल से,
चाहत को मिटा न सकी
जिससे मैं सम्पूर्ण हूँ।
न जाने तुमसे ये कैसी चाहत हुई है,
ये कैसी मोहब्बत हुई है…॥

परिचय-श्रीमती अंतुलता वर्मा का साहित्यिक उपनाम ‘अन्नू’ है। ११ मई १९८२ को विदिशा में जन्मीं अन्नू वर्तमान में करोंद (भोपाल)में स्थाई रुप से बसी हुई हैं। हिंदी,अंग्रेजी और गुजराती भाषा का ज्ञान रखने वाली मध्यप्रदेश की वासी श्रीमती वर्मा ने एम.ए.(हिंदी साहित्य),डी.एड. एवं बी.एड. की शिक्षा प्राप्त की है।आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी (शास. सहायक शिक्षक)है। सामाजिक गतिविधि में आप सक्रिय एवं समाजसेवी संस्थानों में सहभागिता रखती हैं। लेखन विधा-काव्य,लघुकथा एवं लेख है। अध्यनरत समय में कविता लेखन में कई बार प्रथम स्थान प्राप्त कर चुकी अन्नू सोशल मीडिया पर भी लेखन करती हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-चित्रकला एवं हस्तशिल्प क्षेत्र में कई बार पुरस्कृत होना है। अन्नू की लेखनी का उद्देश्य-मन की संतुष्टि,सामाजिक जागरूकता व चेतना का विकास करना है। पसंदीदा हिन्दी लेखक-महादेवी वर्मा,मैथिलीशरण गुप्त, सुमित्रा नन्दन पंत,सुभद्राकुमारी चौहान एवं मुंशी प्रेमचंद हैं। प्रेरणा पुंज -महिला विकास एवं महिला सशक्तिकरण है। विशेषज्ञता-चित्रकला एवं हस्तशिल्प में बहुत रुचि है। देश और हिंदी भाषा के प्रति विचार-“हमारे देश में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती है,परंतु हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है जो देश के अधिकांश हिस्सों में बोली जाती है,इसलिए इसे राष्ट्रभाषा माना जाता है,पर अधिकृत दर्जा नहीं दिया गया है। अच्छे साहित्य की रचना राष्ट्रभाषा से ही होती है। हमें अपने राष्ट्र एवं राष्ट्रीय भाषा पर गर्व है।

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