श्रीमती देवंती देवी
धनबाद (झारखंड)
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आ गया है अब,लेकर अखबार,
अब मिल जाएंगे सभी समाचार।
अपने देश के हर कोने-कोने में,
कौन-कौन हैं भारत के पहरेदार।
बहुत है लिखी इसमें ताजी खबर,
जिससे कितने ही लोग हैं बेखबर।
चाय का प्याला संग ले के अखबार,
चाय-पान की दुकान लगी बाजार।
कहीं-कहीं तो समाचार ताड़ पे चढ़ाए,
कहीं-कहीं तो धरा पे गिराए।
विद्वानों और किसानों की है खबर,
करते हैं मनमानी,रहते हैं बेखबर।
पढ़ ली है आज की ताजा खबर,
‘कोरोना’ की बनी दवाई,मिला है सबर।
दहेज का शोर है,दुश्मन का जोर है,
बिजली-पानी का हर जगह शोर है।
बेटों से बेटियाँ पढ़ने में खूब है तेज,
दहेज नहीं लेना है,पर लेते हैं दहेज॥
परिचय-श्रीमती देवंती देवी का ताल्लुक वर्तमान में स्थाई रुप से झारखण्ड से है,पर जन्म बिहार राज्य में हुआ है। २ अक्टूबर को संसार में आई धनबाद वासी श्रीमती देवंती देवी को हिन्दी-भोजपुरी भाषा का ज्ञान है। मैट्रिक तक शिक्षित होकर सामाजिक कार्यों में सतत सक्रिय हैं। आपने अनेक गाँवों में जाकर महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। दहेज प्रथा रोकने के लिए उसके विरोध में जनसंपर्क करते हुए बहुत जगह प्रौढ़ शिक्षा दी। अनेक महिलाओं को शिक्षित कर चुकी देवंती देवी को कविता,दोहा लिखना अति प्रिय है,तो गीत गाना भी अति प्रिय है।