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निजीकरण कितना वास्तविक…

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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आज सरकार अंधाधुंध निजीकरण की वकालत कर रही है,सरकारी कर्मचारियों के निकम्मेपन की हर जगह चर्चा हो रही है,पर आइए इस पर विचार करते हैं।
दूध में पहले केवल पानी मिलाया जाता था,फिर मलाई मारी जाने लगी,और अब यूरिया और डिटर्जेंट वाला दूध मिलता है। अपवाद छोड़ दें तो आपके हमारे घर में भी यही दूध आता है और ये दूध सरकारी कर्मचारी नहीं बनाता है,न ही बेचता है।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक और गुजरात से अरुणाचल तक ट्रेनों में यूरिया वाली जहरीली चाय कोई सरकारी कर्मचारी नहीं बनाता और न ही बेचता है। ऐसे ही २०० घन फुट का दावा करके १५० घन फुट बालू-गिट्टी आपके तथा हमारे घर में कोई सरकारी कर्मचारी नहीं पहुंचाता है। सड़कें कोई सरकारी कर्मचारी अथवा सरकारी ठेकेदार नहीं बनाता है तो पेट्रोल पम्प पर मिलावटी तेल भी कोई सरकारी कर्मचारी नहीं बेचता और न ही डीजल- पेट्रोल में मिलावट करता है। पम्प पर मिलावट के विरुद्ध कारवाई करने वाले सरकारी अधिकारी मंजूनाथ षणमुगम जैसों की हत्या करनेवाला पम्प का मालिक सरकारी कर्मचारी नहीं होता। इतना ही नहीं,बड़े पंच सितारा होटलों में हर दिन पैसा सोखने वाले,निजी विद्यालयों का संचालन कर करोड़ों-अरबों लूटने वाले,निजी अस्पतालों मे स्मार्ट कार्ड और आयुष्मान जैसी योजनाओं से फर्जीवाड़ा करने वाले कोई सरकारी कर्मचारी नहीं होते हैं।
आए दिन हवाला या करोड़ों रुपए लेकर देश छोड़ कर भाग जाने वाले माल्या,नीरव मोदी या मेहुल चौकसी में से कोई भी सरकारी कर्मचारी नहीं था। सवाल यह है कि,बिना सोचे-समझे निजीकरण के पैरोकार और सरकारी कर्मचारी को नाकारा साबित करने वाले लोग क्या कभी इन लोगों से कोई प्रश्न कर पाएंगे ? जब देश का पैसा लूटकर इन पूंजीपतियों की आम जनता के प्रति कोई जवाबदेही नहीं है,तो ‘निजीकरण’ कैसे सही होगा ? निजीकरण के बाद छल से खुद को दिवालिया घोषित कर भाग जाने वालों से जनता के पैसे कौन वापस दिलाएगा ?
यदि निजीकरण इतना ही सफल है,तो उस दौर में जब स्मार्ट फोन की सबसे ज्यादा आवश्यकता थी, तब माइक्रोमैक्स-कार्बन जैसी मोबाइल कम्पनियां असफल क्यों हो गई ? किंगफिशर व जेट एयरवेज जैसी कम्पनी दिवालिया कैसे हो गई ?
जरा सोचिए,जब इन कम्पनियों का ये हश्र हो सकता है,तो कल सरकारी उपक्रमों की जगह लेने वाली कम्पनियों का भी तो हो सकता है..। अंततः इसका दुष्परिणाम किसे भुगतना होगा ? बड़े गंभीर प्रश्न हैं और ऐसे प्रश्नों की सूची काफी लंबी है।
इतने सारे सरकारी उद्यम खड़े किए गए। आज बताया जा रहा है कि हम ५०० ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं,पर पिछले साल एचपीसीएल क़ो बेच दिया गया, lवो तो गनीमत रही कि ओनजीसी को दिया गया। अब बीपीसीएल को बेचने की बात चल रही है,जबकि इसने पिछले वित्तीय वर्ष में २६०० करोड़ का लाभ कमाया है।
बैंकों के निजीकरण की बात की जा रही है, जबकि यह सत्य है कि आज जितने भी सरकारी विभाग हैं,उन सबमें अभी भी बैंकों पर आमजन का पूरा भरोसा है। अगर स्थिति कमजोर दिख रही है तो सरकार की वसूली नीति ही जिम्मेवार है। अगर बैंकों के करोड़ों रुपए( एनपीए में वर्गीकृत)की वसूली में सरकार सहयोग करे तो न सिर्फ बैंकों की, बल्कि पूरे देश की अर्थ व्यवस्था में उछाल आ सकता है।
स्थिति समझ से परे है कि,सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को एक ही बार में खत्म कर देने में समझदारी है या फिर प्रतिदिन सोने के अंडे प्राप्त करने में ? जबरन निजीकरण कर सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है और इसके गंभीर दुष्परिणाम आम जनता को भुगतने के लिए छोड़ दे रही है।

परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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