जी.ज्योत्स्ना
कटक(ओडिशा)
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बाबा कहते बनो इंजीनियर,
अम्मा कहती बनो डॉक्टर
दादी कहती बनो प्रोफेसर,
अफसर या कलेक्टर,
मेरे मन की उलझन को कोई समझ
ना पाता।
मेरे दिमाग में इक बात घूमती जाती,
पहले मुर्गी आई या अंडा!
न जाने किससे पूछें जीवन का अजब फंडा।
मेरे शिक्षक ने बताई मुझे इंसानियत की बात,
सबसे पहले बनो सहयोगी।
जीवन में मनुष्यता का सर्वोत्तम है पाठ॥