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मानव का कल्याण

राजू महतो ‘राजूराज झारखण्डी’
धनबाद (झारखण्ड) 
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पैसा-पैसा करता फिरा,
अंत नहीं आया काम।
दान-पुण्य जिसमें भरा,
पहुँचा वही प्रभु के धाम।

धर्म और कानून एक समान,
तनिक ना अंतर तू यह जान।
धर्म पालन बनाता संत महान,
कानून देता शान्ति रक्षा सम्मान।

हथियारों के भरपूर जमावड़े से,
करता नहीं सभ्य देश अभिमान।
जीवन संहार होता है बंधु इससे,
होगा नहीं इससे मानव कल्याण।

चारों ओर घुम रहा अदृश्य दानव,
किसी हाल पार न पा रहा मानव।
घर में एकांत रह सब लगाएं ध्यान,
दानव से मुक्ति का मात्र यही ज्ञान।

देख मानव है यह क्रोध प्रकृति का,
सभी करता रहा दोहन धरती का।
जाग मानव कर तू प्रकृति से मेल,
सोया रहा तू तो देखोगे पूरा खेल।

कहता `राजू` विषम है यह परिस्थिति,
वेद-ग्रंथों में है ज्ञान की उपस्थिति।
बन निष्पक्ष कर्मयोगी कर प्रभु स्तुति,
तभी हर लेंगे हरि तुम्हारी सारी विपत्ति।

चाँद बदला,ना सूरज बदला,
स्वार्थी हो बदल गया इंसान।
कर सत्कर्म व प्रेम का ध्यान,
तभी होगा मानव का कल्याणll

परिचय–साहित्यिक नाम `राजूराज झारखण्डी` से पहचाने जाने वाले राजू महतो का निवास झारखण्ड राज्य के जिला धनबाद स्थित गाँव- लोहापिटटी में हैl जन्मतारीख १० मई १९७६ और जन्म स्थान धनबाद हैl भाषा ज्ञान-हिन्दी का रखने वाले श्री महतो ने स्नातक सहित एलीमेंट्री एजुकेशन(डिप्लोमा)की शिक्षा प्राप्त की हैl साहित्य अलंकार की उपाधि भी हासिल हैl आपका कार्यक्षेत्र-नौकरी(विद्यालय में शिक्षक) हैl सामाजिक गतिविधि में आप सामान्य जनकल्याण के कार्य करते हैंl लेखन विधा-कविता एवं लेख हैl इनकी लेखनी का उद्देश्य-सामाजिक बुराइयों को दूर करने के साथ-साथ देशभक्ति भावना को विकसित करना हैl पसंदीदा हिन्दी लेखक-प्रेमचन्द जी हैंl विशेषज्ञता-पढ़ाना एवं कविता लिखना है। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“हिंदी हमारे देश का एक अभिन्न अंग है। यह राष्ट्रभाषा के साथ-साथ हमारे देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इसका विकास हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए अति आवश्यक है।

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