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सपने में आया `कोरोना`

उमेशचन्द यादव
बलिया (उत्तरप्रदेश) 
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सोया था मैं अपनी उमंग में,
बच्चे भी थे हमारे संग में
नींद में था मैं गहरी तभी,
सपने में आया `कोरोनाl`
उसे देख मैं हैरान हो गया,
तब उसने कहा-मुझसे डरो ना
अच्छी है संस्कृति तुम्हारी,
हाथ जोड़ते सब बारी-बारीl
तुम भी वही करो ना,
मुझसे डरो नाll

मुस्करा कर उसने बोला,
बाहर से जब घर को आते
हाथ-पाँव धो अंदर जाते,
शाकाहारी शुद्ध भोजन खातेl
सब पर अपनी दया दिखाते,
यही है पहचान तुम्हारी तो
तुम भी वही करो ना,
मुझसे डरो नाl
सपने में आया कोरोना,
हँसकर उसने कहा मुझसे डरो नाll

आगे उसने बात बढ़ाई,
अहिंसा की याद दिलाई
उसने कहा-भारत भूमि तो,
श्याम-राम की प्यारी हैl
जटा से जिनके गंगा बहती,
वे महाकाल त्रिपुरारी हैं
किया था प्यार पशु-पक्षी से,
तुम भी वही करो नाl
मुझसे डरो नाl
सपने में आया कोरोना,
हँसकर उसने कहा-मुझसे डरो नाll

कहे `उमेश` कि ‘बोला कोरोना’,
मेरी बात एक ध्यान से सुन लो
सत्य मार्ग और अहिंसा को चुन लो,
जाति-पांति से ऊपर उठकरl
इंसानियत को दिल से सुन लो,
धर्म और ज्ञान की खान है भारत
‘जीवों पर दया करो’ नारा है तुम्हारा,
इस कथन को सही करो नाl
मुझसे डरो ना,
हँसकर उसने कहा-मुझसे डरो नाll

परिचय–उमेशचन्द यादव की जन्मतिथि २ अगस्त १९८५ और जन्म स्थान चकरा कोल्हुवाँ(वीरपुरा)जिला बलिया है। उत्तर प्रदेश राज्य के निवासी श्री यादव की शैक्षिक योग्यता एम.ए. एवं बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-शिक्षण है। आप कविता,लेख एवं कहानी लेखन करते हैं। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक जागरूकता फैलाना,हिंदी भाषा का विकास और प्रचार-प्रसार करना है।

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