बाबूलाल शर्मा
सिकंदरा(राजस्थान)
*****************************
काव्य संग्रह हम और तुम से
रचना शिल्प:सरसी छंद विधान- १६ + ११ मात्रा,पदांत २१(गाल) चौपाई+दोहा का सम चरण
बीत बसंत होलिका आई,अब तो आजा मीत।
फाग रमेंगें रंग बिखरते,मिल गा लेंगे गीत।
खेत फसल सब हुए सुनहरी,कोयल गाये फाग।
भँवरे तितली मन भटकाएँ,हम तुम छेड़ें राग।
घर आजा अब प्रिय परदेशी,मैं करती फरियाद।
लिख कर भेज रही मैं पाती,रैन दिवस की याद।
याद मचलती पछुआ चलती,नहीं सुहाए धूप।
बैरिन कोयल कुहुक दिलाती,याद तेरे मन रूप।
साजन लौट प्रिये घर आजा,तन मन चाहे मेल।
जलता बदन होलिका जैसे,चाह रंग रस खेल।
मदन फाग संग बहुत सताए,तन अमराई बौर।
चंचल चपल गात मन भरमें,सुन कोयल का शोर।
निंदिया रानी रूठ रही है,रैन दिवस के बैर।
रंग बहाने से हुलियारे,खूब चिढ़ाते गैर।
लौट पिया जल्दी घर आना,तुमको मेरी आन।
देर करोगे,समझो सजना,नहीं बचें मम प्रान।
परिचय : बाबूलाल शर्मा का साहित्यिक उपनाम-बौहरा है। आपकी जन्मतिथि-१ मई १९६९ तथा जन्म स्थान-सिकन्दरा (दौसा) है। सिकन्दरा में ही आपका आशियाना है।राजस्थान राज्य के सिकन्दरा शहर से रिश्ता रखने वाले श्री शर्मा की शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। आपका कार्यक्षेत्र-अध्यापन (राजकीय सेवा) का है। सामाजिक क्षेत्र में आप `बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ` अभियान एवं सामाजिक सुधार के लिए सक्रिय रहते हैं। लेखन विधा में कविता,कहानी तथा उपन्यास लिखते हैं। शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र में आपको पुरस्कृत किया गया है।आपकी नजर में लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः है।