गोपाल मोहन मिश्र
दरभंगा (बिहार)
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पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान रखने वाली भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी समय से पहले इस दुनिया को अलविदा कह गई। इस ३१ अक्टूबर को इंदिरा गाँधी की हत्या को ३६ साल हो जाएंगे। ३६ सालों से इनकी हत्या और उसके बाद हुए सिख-विरोधी दंगों की छाया गाहे-बगाहे चुनावों से लेकर सामाजिक और राजनीतिक चर्चाओं में पड़ती रही है। संक्षेप में कि,इंदिरा गाँधी कि हत्या के दिन और उसके बाद आखिर हुआ क्या था-इंदिरा गाँधी भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री थी। ३१ अक्टूबर १९८४ को उनके ही २ सुरक्षाकर्मियों ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी थी। उस समय के घटनाक्रम का बिंदुवार वर्णन-
श्रीमती इंदिरा गाँधी की हत्या उस वक़्त हुई,जब सफदरजंग रोड स्थित अपने आवास से ब्रिटिश एक्टर पीटर उस्तीनोव को एक आइरिश टेलीविजन के वृत्तचित्र के लिए साक्षात्कार देने जा रही थी।
ऐसा माना जाता है कि,हत्या का मुख्य कारण अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर में तथाकथित संत जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके साथियों के खिलाफ की गई सैन्य कार्यवाही (ऑपरेशन ब्लू स्टार) का बदला लेना था। इसके कारण सिखों का एक बड़ा तबका श्रीमती गाँधी से नाराज हो गया था।
जरनैल सिंह भिंडरावाले का उस समय पंजाब के सिख युवकों पर जबरदस्त प्रभाव था। भिंडरावाले भारत से अलग एक सिख राष्ट्र खालिस्तान
की स्थापना का कट्टर समर्थक था और उस समय चल रहे अलगाववादी खालिस्तानी उग्रवाद को हवा देने में उसका और उसके साथियों का बड़ा हाथ था। भिंडरावाले इस उग्रवाद के आंदोलन को हरमंदिर साहिब(अमृतसर) से ही नियंत्रित कर रहा था।
भिंडरावाले से स्वर्ण मंदिर को मुक्त कराने और अलगाववादी अभियान की कमर तोड़ने के इरादे से इंदिरा गाँधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार
को मंजूरी दी थी,जिसके बाद स्वर्ण मंदिर में काफी नुकसान पहुंचा। आधिकारिक तौर पर ६०० उग्रवादियों की मृत्यु हुई,जबकि अपुष्ट ख़बरों में कई हजार लोगों के मरने की बातें सामने आईं थी।
इंदिरा गाँधी के २ सुरक्षाकर्मियों-सतवंत सिंह और बेअंत सिंह ने उन पर कुल ३३ गोलियां बरसाईं। इनमें से २६ इंदिरा गाँधी के शरीर के आर-पार और ७ गोलियां उनके शरीर में ही ध्वस्त हो गई।
श्रीमती गाँधी को तुरंत एम्स ले जाया गया,जहाँ पर उन्हें बचाने का प्रयास किया गया,किन्तु दोपहर बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
राजीव गाँधी के दिल्ली में न होने के कारण उनकी मृत्यु की खबर १० घंटे बाद दूरदर्शन पर शाम के समाचार में प्रसारित की गई।
श्रीमती गाँधी की हत्या के बाद राजधानी दिल्ली और अन्य शहरों में सिख-विरोधी दंगे भड़क उठे, जिनमें ३००० से ज्यादा सिखों की जान गई।
बेअंत सिंह,जो १० वर्षों से इंदिरा गाँधी के विश्वासपात्र थे और सतवंत सिंह को अमृतसर स्थित अकाल तख़्त ने २००८ में सिखी के शहीद
का दर्जा दिया।
बेअंत सिंह को अन्य सुरक्षाकर्मियों ने वहीँ पर मार गिराया,जबकि सतवंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। उसे इंदिरा गाँधी की हत्या के अन्य आरोपी केहर सिंह के साथ ६ जनवरी १९८९ को फांसी की सज़ा सुनाई गई।
आरोप लगाया जाता है कि,इंदिरा गाँधी के सुरक्षाकर्मियों को लेकर इंटेलिजेंस और सुरक्षा एजेंसियों की जानकारी को उनके निजी सचिव आर. के. धवन ने नजरअंदाज कर दिया। ठक्कर आयोग
के अध्यक्ष न्यायाधीश एम. पी. ठक्कर ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से इस साज़िश में धवन के शामिल होने का उल्लेख किया।
बेअंत सिंह के पुत्र ने लगभग २५ साल बाद खुलासा किया कि उनके पिता ने सिख क़ौम को प्रसन्न करने के लिए नहीं,बल्कि खुद हरमंदिर साहिब को अपमानित करने के कारण इंदिरा गाँधी की हत्या को अंजाम दिया।
२०१४ में एक पंजाबी फिल्म में इंदिरा गाँधी के दोनों हत्यारों के महिमा मंडन का प्रयास हुआ,किन्तु सरकार द्वारा इस फिल्म को प्रदर्शित होने से रोक दिया गया। अगर हम भारत में इंदिरा गांधी शासन के लगभग १५ वर्षों की कुल अवधि का विश्लेषण करें,तो १९ महीने (डेढ़ वर्ष) के आपातकाल के अवैध,असंवैधानिक और क्रूरतम कुशासन को छोड़कर,उनका शेष साढ़े १३ साल का शासन,न केवल भारत के लिए साहसी और शानदार है,बल्कि ऐतिहासिक भी है,जिसमें ‘महाशक्ति’ अमेरिका के खतरे और धमकी के बावजूद पाकिस्तान का विभाजन कर एक नए राष्ट्र ‘बांग्ला देश’ का निर्माण करना,चीन को झटके देकर सिक्किम को एक राज्य के रूप में भारत में मिलाना और जीवन को खतरे में डालकर भी ‘खालिस्तानी आतंकवाद’ को कुचलना,उनके साहसी और ऐतिहासिक कर्मों में शामिल हैंI
परिचय–गोपाल मोहन मिश्र की जन्म तारीख २८ जुलाई १९५५ व जन्म स्थान मुजफ्फरपुर (बिहार)है। वर्तमान में आप लहेरिया सराय (दरभंगा,बिहार)में निवासरत हैं,जबकि स्थाई पता-ग्राम सोती सलेमपुर(जिला समस्तीपुर-बिहार)है। हिंदी,मैथिली तथा अंग्रेजी भाषा का ज्ञान रखने वाले बिहारवासी श्री मिश्र की पूर्ण शिक्षा स्नातकोत्तर है। कार्यक्षेत्र में सेवानिवृत्त(बैंक प्रबंधक)हैं। आपकी लेखन विधा-कहानी, लघुकथा,लेख एवं कविता है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। ब्लॉग पर भी भावनाएँ व्यक्त करने वाले श्री मिश्र की लेखनी का उद्देश्य-साहित्य सेवा है। इनके लिए पसंदीदा हिन्दी लेखक- फणीश्वरनाथ ‘रेणु’,रामधारी सिंह ‘दिनकर’, गोपाल दास ‘नीरज’, हरिवंश राय बच्चन एवं प्रेरणापुंज-फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ हैं। देश और हिंदी भाषा के प्रति आपके विचार-“भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शानदार नेतृत्व में बहुमुखी विकास और दुनियाभर में पहचान बना रहा है I हिंदी,हिंदू,हिंदुस्तान की प्रबल धारा बह रही हैI”