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क्या जैविक युद्ध वैज्ञानिक प्रगति का द्योतक ?

सुश्री नमिता दुबे
इंदौर(मध्यप्रदेश)
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`राष्ट्रीय विज्ञान दिवस`-२८ फरवरी विशेष………..

प्राचीन काल से ही भारत का विज्ञान,गणित और खगोलशास्त्र बहुत सम्रद्ध रहा है। हम अपने विद्यालयीन समय से ही `विज्ञान के चमत्कार` विषय पर निबंध लिखते आए हैं। आग की खोज,पहिए की खोज,बैलगाड़ी,बस,ट्रेन,हवाई जहाज,रॉकेट की खोज करते हुए मानव ने कब प्रकृति को अपने अधीन कर लिया,मालूम ही नहीं पड़ा। प्राचीनकाल में फसल उत्पादन वहां की मिट्टी और वर्षा पर निर्भर करता था,मिट्टी उपजाऊ हो तथा अच्छी वर्षा हो,तो उत्पादन के बेहतर परिणाम दिखते थे,अन्यथा अकाल का सामना करना पड़ता था,किंतु हमारी नई-नई खोज ने बगैर मिट्टी के भी पौधे लगाना संभव कर दिया। प्रकृति को धता बताते हुए बादल बनना संभव किया। चाकू का जन्म हमने घरेलू उपयोग या सब्जी काटने के लिए किया था,पर आज उससे भाई-भाई का गला काट रहा है,रिश्तों का बलात्कार किया जा रहा है।

विज्ञान की मदद से किए जाने वाले हमारे दैनिक कार्यों में कई ऐसी बातें जुड़ती गई,जिनके कारण धरातल के सम्पूर्ण जीव-जगत पर संकट के बादल मंडराने लगे। मानव ने अपना जीवन तो सुलभ बना लिया,परंतु आगामी पीढ़ी के लिए धरती एक समस्या बनती जा रही है। १९०७ में जब `प्लास्टिक` का अविष्कार हुआ तो मानव बहुत खुश हुआ। बहुत ही कम लागत,कम जगह लेने,हल्का और विभिन्न आकार में आसानी से उपलब्ध होने के कारण शीघ्र ही घरेलू सामान की एक विशाल श्रंखला में इसका उपयोग किया जाने लगा। आज वही प्लास्टिक हमारे लिए सिरदर्द बन चुका है। राकेट,मिसाइल,बम,युद्ध में प्रयोग होने वाले जहाज,अनेक रासायनिक उपकरण मानव सभ्यता को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं,किंतु मनुष्य विनाश की इस अभूतपूर्व क्षमता में नए आधुनिक हथियारों को जोड़ता चला गया। सबसे पहले जर्मनी ने हथियार के रूप में प्रथम विश्व युद्ध के समय `क्लोरीन` गैस का उपयोग किया। १९१७ में पाकिस्तान ने अफगास्तान के सीमाई इलाके में रासायनिक हथियारों का उपयोग किया,जिससे बड़ी संख्या में लोगों के शरीर में फफोले हो गए। १९३२ में जापान ने चीन पर हवाईजहाज से कुछ कीटाणुओं से संक्रमित गेहूं के दानों का छिड़काव किया,जिससे वहां फैले `प्लेग` ने करीब ३००० चीनियों की जान ले ली। अमेरिका ने गुप्त रूप से ईरानी खुफिया समूह के कम्प्यूटर सिस्टम पर साइबर हमला किया,तो बदले में ईरान ने भी अमेरिकी जासूसी `ड्रोन` को मार गिराया। जापान पर हुए परमाणु बम के हमले से कौन अनभिज्ञ है ? हाल ही में गुजरात और राजस्थान में पाकिस्तानी सीमा के भारतीय गांव पर भारी टिड्डी दल का हमला भारत के खिलाफ जैविक युद्ध के अभ्यास वाले हमले की तरफ इशारा करता है। चीन में जानलेवा `कोरोना` वायरस के संदर्भ में दुनिया के अधिकांश देश चीन पर जैविक हथियार के उत्पादन का गंभीर आरोप लगा रहे हैं।

विज्ञान की नई खोज से विकसित जैव प्रौद्योगिकी सरंचना के साथ घातक रोगजनक जैविक हथियार बनाए जा रहे हैं।

क्या विकास विध्वंसकारी ही हो सकता है ? क्या जैविक युद्ध वैज्ञानिक प्रगति का द्योतक हो सकता है ? आज बहुत जरूरी है कि,हम विज्ञान के सृजनात्मक पहलू से दुनिया को परिचित करवाएँ,ना कि विध्वंसक पहलू से। विज्ञान के चमत्कार का ही परिणाम है कि,पर्यावरण प्रदूषण,वैश्विक तपन,रेडियोधर्मी के दुष्परिणाम,`ओजोन परत` का हास,परमाणु हथियारों के बाद रासायनिक और अब जैविक हथियारों की होड़ मानव जाति को पतन की ओर ले जा रही है। विज्ञान के आविष्कारों से धार्मिक आस्था भी दिन-ब-दिन कमजोर पड़ती जा रही है,जो किसी सभ्य समाज के लिए शुभ संकेत नहीं है। विज्ञान ने यदि मनुष्य को चंद्रमा पर पहुंचाया है,तो उसने उसे विनाश की गर्त पर भी ला खड़ा किया है। वास्तविक रूप में यदि विज्ञान का अवलोकन किया जाए,तो हम देखते हैं इसमें अपारशक्ति है।यह हमारे विवेक पर निर्भर है कि,इसका प्रयोग किस प्रकार करना है,तभी `विज्ञान दिवस` की सार्थकता सिद्ध होगी।

परिचय : सुश्री नमिता दुबे का जन्म ग्वालियर में ९ जून १९६६ को हुआ। आप एम.फिल.(भूगोल) तथा बी.एड. करने के बाद १९९० से वर्तमान तक शिक्षण कार्य में संलग्न हैं। आपका सपना सिविल सेवा में जाना था,इसलिए बेमन से शिक्षक पद ग्रहण किया,किन्तु इस क्षेत्र में आने पर साधनहीन विद्यार्थियों को सही शिक्षा और उचित मार्गदर्शन देकर जो ख़ुशी तथा मानसिक संतुष्टि मिली,उसने जीवन के मायने ही बदल दिए। सुश्री दुबे का निवास इंदौर में केसरबाग मार्ग पर है। आप कई वर्ष से निशक्त और बालिका शिक्षा पर कार्य कर रही हैं। वर्तमान में भी आप बस्ती की गरीब महिलाओं को शिक्षित करने एवं स्वच्छ और ससम्मान जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। २०१६ में आपको ज्ञान प्रेम एजुकेशन एन्ड सोशल डेवलपमेंट सोसायटी द्वारा `नई शिक्षा नीति-एक पहल-कुशल एवं कौशल भारत की ओर` विषय पर दिए गए श्रेष्ठ सुझावों हेतु मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा और कौशल मंत्री दीपक जोशी द्वारा सम्मानित किया गया है। इसके अलावा श्रेष्ठ शिक्षण हेतु रोटरी क्लब,नगर निगम एवं शासकीय अधिकारी-कर्मचारी संगठन द्वारा भी पुरस्कृत किया गया है।  लेखन की बात की जाए तो शौकिया लेखन तो काफी समय से कर रही थीं,पर कुछ समय से अखबारों-पत्रिकाओं में भी लेख-कविताएं निरंतर प्रकाशित हो रही है। आपको सितम्बर २०१७ में श्रेष्ठ लेखन हेतु दैनिक अखबार द्वारा राज्य स्तरीय सम्मान से नवाजा गया है। आपकी नजर में लेखन का उदेश्य मन के भावों को सब तक पहुंचाकर सामाजिक चेतना लाना और हिंदी भाषा को फैलाना है।

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