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कश्मीरी नेताओं को जमीनी हकीकत समझने की जरूरत

प्रियंका सौरभ
हिसार(हरियाणा)

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अब कश्मीरी नेताओं को जमीनी हकीकत समझने और वर्तमान दौर के साथ व्यवहारिक होने की जरूरत है। उन्हें अब सच और जमीनी हकीकत समझ लेनी चाहिए। अब भारत में उनकी बकवास को कोई सुनने वाला नहीं है। वे चाहें तो कुछ भी कर के देख लें,उनकी अक्ल ठिकाने लग जाएगी। उन्हें समझ आ जाना चाहिए कि,वे राज्य की जनता का विश्वास पूरी तरह खो चुके हैं। हर हिन्दुस्तानी को अब ये पता चल चुका है कि जम्मू और कश्मीर के खुराफाती नेता अपने फायदे के लिए चीन और पाकिस्तान की भाषा क्यों बोल रहे हैं ?

हाल ही में केन्द्र ने भारतीय नागरिकों के लिए संविधान के अनुच्छेद ३७० और ३५ए के निरस्त होने के १ साल बाद कई कानूनों में संशोधन करके जम्मू-कश्मीर में सभी भारतीयों के लिए जमीन खरीदने का तोहफा दिया है। पिछले साल अगस्त में उक्त अनुच्छेद को निरस्त करने से पहले जम्मू-कश्मीर में गैर-निवासी कोई अचल संपत्ति नहीं खरीद सकते थे। ताजा बदलावों ने गैर-निवासियों के लिए जम्मू और कश्मीर के केन्द्र शासित प्रदेश में जमीन खरीदने का मार्ग प्रशस्त किया है। दूसरी तरफ,जम्मू-कश्मीर के नज़रबंद नेताओं ने रिहा होते ही फिर से अपनी पुरानी खुऱाफात चालू कर दी है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूख अब्दुल्ला,महबूबा मुफ़्ती,उमर अब्दुल्ला और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ़्रेंस,माकपा तथा जम्मू-कश्मीर अवामी नेशनल कॉन्फ़्रेंस के नेताओं ने यह मांग कर दी कि,भारत सरकार राज्य के लोगों को वो सारे अधिकार फिर से वापस लौटाए। अब उनके इस नए कदम का विरोध भी वहां शुरू हो गया हैl
नई अधिसूचना यह भी बताती है कि,कॉर्प कमांडर के पद से नीचे के सेना के अधिकारी के लिखित अनुरोध पर सरकार एक क्षेत्र को सामरिक क्षेत्र के रूप में घोषित नहीं कर सकती,केवल सशस्त्र बलों के प्रत्यक्ष परिचालन और प्रशिक्षण आवश्यकताओं के लिए इस अधिनियम के संचालन से और नियम और कानून और तरीके से बनाए गए हैं। देखें तो,ये कदम संवैधानिक वैधता और उचित प्रतिबंध के साथ आया हैl
भारत सरकार के पास भारत से विदेशियों को बाहर निकालने की शक्ति है। इसलिए यह स्पष्ट है कि इस संशोधन को अनुच्छेद १९ दायरे में लाया गया है,जिसमें कृषि भूमि जैसे गैर-कृषकों को हस्तांतरित नहीं किया जाएगा। हालांकि,कुछ शर्तें हैं जहां उन्हें विकास के उद्देश्यों के लिए स्थानांतरित किया जा सकता है। यह प्रतिबंध जम्मू-कश्मीर के मूल निवासियों के हितों की रक्षा करेगा और उन्हें सशक्त भी करेगा।

दरअसल,अब कश्मीरी नेताओं को समझ लेना चाहिए कि यहाँ की जनता अब उनके बहकावे में रहने वाली नहीं है। समय रहते अब इन्हें समझ आ जाना चाहिए कि जम्मू-कश्मीर ही नहीं,भारत की एक-एक इंच भूमि पवित्र और खास है। अखंड भारत की कोई भी जगह कम या अधिक विशेष नहीं है। अब देश हित और कश्मीरी नेताओं के हित में यही होगा कि अब ये राज्य के विकास में सरकार का साथ दें और जनता का विश्वास पुनः प्राप्त करने की कोशिश में जुट जाएं। वे राज्य के साथ मिल कर काम करें और प्रगति में अपना योगदान दें। अगर वे समझदार हैं तो सबको साथ लेकर चलने में यकीन करने वाली भारत सरकार के साथ बढ़ें। अन्यथा राज्य का विकास तो होगा ही ये सत्य है,मगर इनको पूछने वाला कोई नहीं होगाl