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इस बार दीपावली

तारा प्रजापत ‘प्रीत’
रातानाड़ा(राजस्थान) 
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दीपावली पर्व स्पर्धा विशेष…..

न चीनी रोशनी की लड़ियाँ,
न पटाख़े,न ही फुलझड़ियाँ
मिट्टी के दीयों से,घर जगमगाएंगे।
कुछ यूँ इस बार हम,
दीपावली मनाएंगे॥

देंगे हम श्रद्धांजलि कर्मवीरों को,
‘कोरोना’ में खोया है जिन हीरों को
उनके नाम श्रद्धा से दो दीप जलाएंगे।
कुछ यूँ इस बार हम,
दीपावली मनाएंगे॥

मुँह पर मास्क,दो गज की दूरी,
बचाव है ये,न समझना मजबूरी
किसी को भी,गले नहीं लगाएंगे।
कुछ यूँ इस बार हम,
दीपावली मनाएंगे॥

मिलेंगे प्रेम से,नियमों के साथ,
बार-बार धोएंगे अपने हाथ,
कोरोना को जल्दी,देश से भगाएंगे।
कुछ यूँ इस बार हम,
दीपावली मनाएंगे॥

मजबूरों के,रंगहीन जीवन में,
सदभाव हो सबके लिए मन में
आशाओं की रंगोली सजाएंगे।
कुछ यूँ इस बार हम,
दीपावली मनाएंगे॥

न कोई भूखा रहे,न कोई बेघर,
न कोई चिन्ता हो न कोई डर
श्रद्धा से,माँ लक्ष्मी को मनाएंगे।
कुछ यूँ इस बार हम,
दीपावली मनाएंगे॥

किसी ज्ञानी ने सच कहा है,
समय कब एक जैसा रहा है
लौट कर फिर,दिन वही आएंगे।
फिर से हम सब मिल कर,
पहली सी दीपावली मनाएंगे॥

परिचय-श्रीमती तारा प्रजापत का उपनाम ‘प्रीत’ है।आपका नाता राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ा स्थित गायत्री विहार से है। जन्मतिथि १ जून १९५७ और जन्म स्थान-बीकानेर (राज.) ही है। स्नातक(बी.ए.) तक शिक्षित प्रीत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। कई पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में भी आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं,तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। आपके लेखन का उद्देश्य पसंद का आम करना है। लेखन विधा में कविता,हाइकु,मुक्तक,ग़ज़ल रचती हैं। आपकी विशेष उपलब्धि-आकाशवाणी पर कविताओं का प्रसारण होना है।

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