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मौत से लड़ना क्या

रूपेश कुमार
सिवान(बिहार) 
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मौत से लड़ना क्या,
मौत तो एक बहाना है
जिन्दगी के पन्नों में,
कब क्या हो जाए…
ये न तो मैं जानता,न तुम…।

उल्फत न मिलती,
जीवन की रुसवाईयों में
हर जहाँ हमें पता होता,
जीवन की रहनुमाईयों में
मौत से मुड़ना क्या…।

आरजू,जुस्तजू से,
अनुभूतियाँ नहीं होती
हर रास्ते में हमें,
कोई खूबियाँ नहीं मिलती
कौन जाने कब मौत आ जाए…।

जिन्दगी की डगर पे,
धूप या छाँव में
वर्षा की राह में,
मुद्दतें बदल देती हैं
मौत तो एक आकांक्षा है…।

मौत से लड़ना क्या,
मौत तो एक बहाना है
जीवन की राहों में।
यमदूत से डरना क्या,
दोस्त बना लेना है॥

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