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नेता जी और अर्जी…

दीपक शर्मा

जौनपुर(उत्तर प्रदेश)

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मच पर बैठे नेता जी,
सुनकर मेरी कविता
खूब मुस्कुराए,
खिलखिलाए
तालियाँ बजाए।
फिर बुलाकर मुझे मंच पर
थपथपाई मेरी पीठ,
थमाकर सौ रुपये का नोट
बढ़ाया मेरा हौंसला।
फिर धीरे से बोले-
“ये लो मेरा कार्ड,
पड़े जब जरुरत
नि:संकोच करना मुझे याद,
मैं जरुर आऊंगा आपके काम।”

मैं हो गया गदगद,
सुनकर नेताजी की बात
सोचा,
जरुर करुँगा
नेता जी से मुलाकात।

एक दिन,
समय निकालकर
मैं नेता जी के घर आया
उन्हें एक अर्जी-पत्र थमाया,
पत्र बिना पढ़े
नेता जी ने किया सवाल-
“आपके घर में कितने सदस्य हैं जनाब ?
चुनाव में,
हमें कितने वोट दिलवा सकते हैं आप ?
अपने परिवार से,
हित,नात,परिचित,रिश्तेदार से।”
मैंने कहा रख के सीने पे हाथ-
“सिर्फ एक ..।”
नेताजी ने अर्जी-पत्र दिया फेंक…॥

परिचय-दीपक शर्मा का स्थाई निवास जौनपुर के ग्राम-रामपुर(पो.-जयगोपालगंज केराकत) उत्तर प्रदेश में है। आप काशी हिंदू विश्वविद्यालय से वर्ष २०१८ में परास्नातक पूर्ण करने के बाद पद्मश्री पं.बलवंत राय भट्ट भावरंग स्वर्ण पदक से नवाजे गए हैं। फिलहल विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।आपकी जन्मतिथि २७ अप्रैल १९९१ है। बी.ए.(ऑनर्स-हिंदी साहित्य) और बी.टी.सी.( प्रतापगढ़-उ.प्र.) सहित एम.ए. तक शिक्षित (हिंदी)हैं। आपकी लेखन विधा कविता,लघुकथा,आलेख तथा समीक्षा भी है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में इनकी कविताएँ व लघुकथा प्रकाशित हैं। विश्वविद्यालय की हिंदी पत्रिका से बतौर सम्पादक भी जुड़े हैं। दीपक शर्मा की लेखनी का उद्देश्य-देश और समाज को नई दिशा देना तथा हिंदी क़ो प्रचारित करते हुए युवा रचनाकारों को साहित्य से जोड़ना है।विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको लेखन के लिए सम्मानित किया जा चुका है।

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