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मन का बैर मिटाइए

पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़) 
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फागुन का महीना है,
रंगों भरा नगीना है
उड़ते रंग-गुलाल यहां,
बाजे ढोल मृदंग जहां
मस्ती भरा त्योहार हुआ,
खुशियों का खजाना है…l
फागुन का महीना…

छल-कपट सब त्यागिए,
मन का बैर मिटाइए
रंग-बिरंगे फूलों जैसे,
हर धर्म के लोग यहां
बस प्रेम से गले मिल जाइए,
यही तो भाव जगाना है…l
फागुन का महीना…

होली की मर्यादा रहे,
एक-दूजे का मान रहे
उड़ते रंग-गुलाल प्रेम के,
भांग में हँसती मीठी बोली
बच्चों की हुड़दंगी टोली,
प्रेम रंग बरसाना है…l
फागुन का महीना है…

घर-परिवार सबसे मिलना,
बड़े-बुजुर्गों से आशीष लेना
जीवन का अनमोल तोहफा,
फिर हम सबको आगे बढ़ना
बच्चों को भी है समझानाl
ये संस्कृति बचाना है…,
फागुन का महीना है…ll

परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।

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