पूनम दुबे
सरगुजा(छत्तीसगढ़)
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संग तेरे प्यार की इक राह मिल गई,
जिंदगी जीने की पहचान मिल गई।
संग तेरे प्यार…
कट रहे थे पल हमारे जैसे अंधेरी रात,
तुमने जो थामा हाथ ये रोशनी मिल गई।
संग तेरे प्यार…
तन्हां-तन्हां जी रहे थे घिरकर उदासी में,
पाया जो साथ तेरा महफिल मिल गई।
संग तेरे प्यार…
कैसे कहें भंवर में उलझी थी जिंदगी,
मुझको दिया सहारा पतवार मिल गई।
संग तेरे प्यार…
ग़म ये सारे छंट गए और फूल खिल गए,
अब तुम्हारी हर खुशी `पूनम` को मिल गई।
संग तेरे प्यार की इक राह मिल गई…
जिंदगी जीने की…पहचान मिल गईll
परिचय-श्रीमती पूनम दुबे का बसेरा अम्बिकापुर,सरगुजा(छत्तीसगढ़)में है। गहमर जिला गाजीपुर(उत्तरप्रदेश)में ३० जनवरी को जन्मीं और मूल निवास-अम्बिकापुर में हीं है। आपकी शिक्षा-स्नातकोत्तर और संगीत विशारद है। साहित्य में उपलब्धियाँ देखें तो-हिन्दी सागर सम्मान (सम्मान पत्र),श्रेष्ठ बुलबुल सम्मान,महामना नवोदित साहित्य सृजन रचनाकार सम्मान( सरगुजा),काव्य मित्र सम्मान (अम्बिकापुर ) प्रमुख है। इसके अतिरिक्त सम्मेलन-संगोष्ठी आदि में सक्रिय सहभागिता के लिए कई सम्मान-पत्र मिले हैं।