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समस्याओं के समाधान हेतु करने पड़ेंगे संकल्पित और सुगठित प्रयास

अमल श्रीवास्तव 
बिलासपुर(छत्तीसगढ़)

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पिछले सत्तर साल से देश की जो हालत है,जिस तरह राजनीति में स्वार्थ परस्ती,दलित और मुस्लिम तुष्टिकरण की होड़,भाई-भतीजावाद, जातिवाद का बोलबाला है,जिस तरह नौकरशाही में क्या चपरासी,क्या अधिकारी,क्या सचिव सभी पर पक्षपात और भ्रष्टाचार के आरोप लगते आ रहे हैं,जिस तरह न्याय व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं,उसे देख-सुनकर अब सच्चे देशभक्तों को हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहने से काम नहीं चलने वाला,अब तो कुछ करना ही पड़ेगा। इसके लिए हमें इतिहास की कुछ घटनाओं से सीख लेनी पड़ेगी। आजादी की लड़ाई ३ मोर्चों पर लड़ी गई थी-
आध्यात्मिक मोर्चा-
अरविंद घोष,महर्षि रमण और आचार्य श्री राम शर्मा आदि मनीषियों ने देश को आजाद करवाने में सूक्ष्म जगत में आध्यात्मिक प्रयोग करके पूरे वातावरण को प्रभावित किया था। इस वजह से आजादी की लड़ाई में सूक्ष्म देवी सत्ताओं का साथ मिला था। जो आध्यात्म की शक्ति को जानते-समझते हैं,वे इस बात को अवश्य जानते होंगे।
नर्म दल-
गांधी जी के नेतृत्व में विभिन्न सत्याग्रह आंदोलन,असहयोग आंदोलन,सविनय अवज्ञा आन्दोलन,आदि द्वारा देश को आजाद करवाने में नर्म दल ने अपना महत्व पूर्ण योगदान दिया था।
गर्म दल-
सबसे महत्वपूर्ण कार्य इसी मोर्चे ने किया था। मंगल पांडे,रानी लक्ष्मी बाई,भगतसिंह, आदि से शुरू हुई इस लड़ाई को अंतिम पड़ाव तक भारत रत्न ‘सुभाष चन्द्र बोस’ ने पहुंचाया था।
आजादी की लड़ाई में किसी भी मोर्चे के योगदान को कम नहीं आका जा सकता।समग्र योगदान का ही परिणाम था कि नब्बे वर्ष के लंबे संघर्ष के बाद भारत को आजादी मिली है।
आज देश की अनगिनत समस्याओं के समाधान के लिए पुनः ३ मोर्चों पर निर्णायक लड़ाई लड़े जाने की जरूरत है-
वर्तमान में पूरे देश में लगभग १ करोड़ साधु-संत हैं,जो देवालयों और आश्रमों में रह रहे हैं। अगर प्रत्येक साधु-संत मात्र १३५ दिन का समय जन-जागरण हेतु १दिन में एक व्यक्ति के हिसाब से लगा दे तो मात्र १३५ दिन में पूरे देश के जनमानस को झकझोर सकते हैं। इस संदर्भ में योग गुरु स्वामी रामदेव का उदाहरण सामने है। हमें अध्यात्म के क्षेत्र से विश्वामित्र,परशुराम,आचार्य द्रोण,चाणक्य जैसे मनीषियों की खोज करनी होगी,जो माला और भाला में विश्वास रखते हों तथा शस्त्र और शास्त्र दोनों में पारंगत हों,क्योंकि आज देश को इनकी महती आवश्यकता है।
ऐसे देशभक्त जो प्रत्यक्ष रूप से सड़क में धरना-प्रदर्शन में भाग नहीं ले सकते अथवा ज्यादा समय नहीं दे सकते,वे विभिन्न माध्यम सहित रिश्तेदारों से भी बात करके बिना किसी हो-हल्ला के जन-जागरण अभियान चला सकते हैं। वे बता सकते हैं कि-कैसे जनसंख्या वृद्धि से विस्फोटक स्थिति बन रही है,कैसे बहुविवाह,कैसे आतंकवाद फैल रहा है,कैसे अंधविश्वास फैलाकर लोगों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया जा रहा है,कैसे योग्यता का अपमान हो रहा है और कैसे धनबल-बाहुबल के कारण अराजकता फैल रही है ? ऐसी बहुत- सी देश हित की बात आम जनमानस के दिल-दिमाग में बैठाने का कार्य नर्म दल के लोग कर सकते हैं। इस प्रयास के परिणाम स्वरूप अच्छे लोग प्रत्यक्षतः राजनीति में भाग लेने को तैयार होंगे।
जो देशभक्त प्रत्यक्ष रूप से देश हित के लिए कुछ करना चाहते हैं,उन्हें कानून के दायरे में रहकर पूरे देश में जनजागरण अभियान चलाना पड़ेगा। उन्हें लालकृष्ण आडवाणी(नीतियों के समर्थक नहीं,लेकिन संघर्ष क्षमता काबिले तारीफ) की तरह पूरे देश में यात्रा निकालनी पड़ेगी,उन्हें अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी जैसे संघर्ष करना पड़ेगा तो सुभाष चन्द्र बोस जैसे ‘राष्ट्रवादी फौज’ भी तैयार करनी पड़ेगी।
याद रहे कि,भावुकता से छोटे-छोटे टुकड़ों में बँट अलग-थलग रह कर किए जाने वाले प्रयास उतने कारगर सिद्ध नहीं हो पाएंगे, जितनी आज आवश्यकता है,इसके लिए संकल्पित अभियान और सुगठित प्रयास करने पड़ेंगे,साथ ही आध्यात्मिक शक्ति का भी सहारा लेना पड़ेगा। इतिहास गवाह है कि युधिष्ठर जैसे सत्यवादी और अर्जुन जैसे धनुर्धर को भी आध्यात्म रूपी श्री कृष्ण की शक्ति का सहारा लेना पड़ा था।

परिचय-प्रख्यात कवि,वक्ता,गायत्री साधक,ज्योतिषी और समाजसेवी `एस्ट्रो अमल` का वास्तविक नाम डॉ. शिव शरण श्रीवास्तव हैL `अमल` इनका उप नाम है,जो साहित्यकार मित्रों ने दिया हैL जन्म म.प्र. के कटनी जिले के ग्राम करेला में हुआ हैL गणित विषय से बी.एस-सी.करने के बाद ३ विषयों (हिंदी,संस्कृत,राजनीति शास्त्र)में एम.ए. किया हैL आपने रामायण विशारद की भी उपाधि गीता प्रेस से प्राप्त की है,तथा दिल्ली से पत्रकारिता एवं आलेख संरचना का प्रशिक्षण भी लिया हैL भारतीय संगीत में भी आपकी रूचि है,तथा प्रयाग संगीत समिति से संगीत में डिप्लोमा प्राप्त किया हैL इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकर्स मुंबई द्वारा आयोजित परीक्षा `सीएआईआईबी` भी उत्तीर्ण की है। ज्योतिष में पी-एच.डी (स्वर्ण पदक)प्राप्त की हैL शतरंज के अच्छे खिलाड़ी `अमल` विभिन्न कवि सम्मलेनों,गोष्ठियों आदि में भाग लेते रहते हैंL मंच संचालन में महारथी अमल की लेखन विधा-गद्य एवं पद्य हैL देश की नामी पत्र-पत्रिकाओं में आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैंL रचनाओं का प्रसारण आकाशवाणी केन्द्रों से भी हो चुका हैL आप विभिन्न धार्मिक,सामाजिक,साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़े हैंL आप अखिल विश्व गायत्री परिवार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। बचपन से प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कृत होते रहे हैं,परन्तु महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रथम काव्य संकलन ‘अंगारों की चुनौती’ का म.प्र. हिंदी साहित्य सम्मलेन द्वारा प्रकाशन एवं प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुन्दरलाल पटवा द्वारा उसका विमोचन एवं छत्तीसगढ़ के प्रथम राज्यपाल दिनेश नंदन सहाय द्वारा सम्मानित किया जाना है। देश की विभिन्न सामाजिक और साहित्यक संस्थाओं द्वारा प्रदत्त आपको सम्मानों की संख्या शतक से भी ज्यादा है। आप बैंक विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। बहुमुखी प्रतिभा के धनी डॉ. अमल वर्तमान में बिलासपुर (छग) में रहकर ज्योतिष,साहित्य एवं अन्य माध्यमों से समाजसेवा कर रहे हैं। लेखन आपका शौक है।

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