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आओ मन को शुद्ध बनाएँ

सुरेश चन्द्र ‘सर्वहारा’
कोटा(राजस्थान)
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पर्व पर्यूषण का आया है
आओ मन को शुद्ध बनाएँ,
जो ‘कषाय’ कर्मों के आए-
करें ‘निर्जरा’ उन्हें जलाएँ।

भूल बाहरी भौतिक दुनिया
अपने मन के अन्दर झाँकें,
आत्म-जागरण का यह उत्सव-
निज भावों को फिर से आँकें।

क्षमा विनय सद्भाव सरलता
प्रेम भाव हम सब अपना लें,
सतत आत्म-चिन्तन के द्वारा-
यह आध्यात्मिक पर्व मना लें।

नहीं अन्य के देखें दूषण
करें किसी का कभी न शोषण,
हटा सभी कटुता के काँटे-
प्रेम-प्रसूनों का हो पोषण।

अंतर का आलोक क्षमा है
जीवन-उपवन का है सौरभ,
यह मैत्री का भाव भूमि से-
उठ कर छू ले दिग-दिगन्त नभ।

जप-तप संयम और साधना
सिखलाता है हमें पर्यूषण।
प्रायश्चित करके पापों का-
कर लें फिर से आत्म-निरीक्षण॥

परिचय-सुरेश चन्द्र का लेखन में नाम `सर्वहारा` हैl जन्म २२ फरवरी १९६१ में उदयपुर(राजस्थान)में हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए.(संस्कृत एवं हिन्दी)हैl प्रकाशित कृतियों में-नागफनी,मन फिर हुआ उदास,मिट्टी से कटे लोग सहित पत्ता भर छाँव और पतझर के प्रतिबिम्ब(सभी काव्य संकलन)आदि ११ हैं। ऐसे ही-बाल गीत सुधा,बाल गीत पीयूष तथा बाल गीत सुमन आदि ७ बाल कविता संग्रह भी हैंl आप रेलवे से स्वैच्छिक सेवानिवृत्त अनुभाग अधिकारी होकर स्वतंत्र लेखन में हैं। आपका बसेरा कोटा(राजस्थान)में हैl

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