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प्रिय की प्रीत निभाना है

अख्तर अली शाह `अनन्त`
नीमच (मध्यप्रदेश)

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प्रिये उठाओ साज पुनः तुम,
सरगम नया सजाना है।
सपनों का संसार हकीकत,
की धरती पर लाना है॥
प्रिय की प्रीत निभाना है,
गीत मिलन के गाना है॥

अधरामृत से अधर अछूते,
सावन देखो बीत गया।
बीत गया मनहर मौसम ये,
रीता उर संगीत गया॥
इसीलिए अब शुष्क हृदय में,
आओ प्यार जगा लें हम।
सपनों को नूतन रंगों से,
मिल के आज सजा लें हम॥
सुर संगीत बिखेरे हमने,
देखो जब-जब पतझर में।
गीत बहारों ने गाएं हैं,
तब-तब हर उजड़े घर में॥
गुलशन आशाओं का अपने,
कभी न मुरझाने पाए।
सुर-सरिता को गिरी-शिखर से,
ला धरती दिखलाना है॥
प्रिय की प्रीत निभाना है,
गीत मिलन के गाना है…॥

भंवरे काना-फूसी करते,
हर गुल पर मंडराते हैं।
कलिकाओं को खुश करने वे,
घंटों अलख जगाते हैं॥
बज्म सजाते हैं पग-पग पर,
पल-पल गीत सुनाते हैं।
रसिक बावले पिया-पिया कर,
सोई प्रीत जगाते हैं॥
अब तो सहा नहीं जाता,पल,
सदियों जैसे लगते हैं।
इंतजाररत नयन बावरे,
राह किसी की तकते हैं॥
क्वारी हसरत पलक बिछाए,
प्रणय वैदी पर बैठी है।
वादे कभी किये जो तुमने,
भूल न उनको जाना है॥
प्रिय की प्रीत निभाना है,
गीत मिलन के गाना है…॥

रात-रातभर रहें घूमती,
शौख हवाएं इधर-उधर।
नजर नहीं आती है बरखा,
बिजली बदली अब मनहर॥
शबनम देखो लगी दूब पर,
रचने फिर नवगीत मधुर।
लहर-लहर ने छेड़ दिया है,
एक नूतन संगीत मधुर॥
ऐसे में बीते लम्हों की,
यादें चैन चुराती हैं।
व्याकुल उर सागर की लहरें,
पल-पल तुम्हें बुलाती हैं॥
दग्ध बदन करवटें बदलता,
विरहाग्नि में रहता है।
जख्म दिए जो तुमने उन पर,
मरहम आज लगाना है॥
प्रिय की प्रीत निभाना है,
गीत मिलन के गाना है…॥

कठिन साधना लगे प्रीत की,
कठिन बिताना रातों का।
कठिन मुझे अब तो लगता वश,
में करना जज्बातों का॥
बूंद अगर मोती बन जाए,
सचमुच वो बढ़भागी है।
आस अगर पूरी हो जाये,
समझो किस्मत जागी है॥
तार हृदय वीणा के झंकृत,
करने का अब अवसर है।
मधुर भावनाओं का मेरे,
साथ नशीला लश्कर है॥
तुच्छ भेंट स्वीकारें साथी,
ये मन का आमंत्रण है।
अपनी खुशबू से याचक उर,
का उपवन महकाना है॥
प्रिय की प्रीत निभाना है,
गीत मिलन के गाना है…॥

हर धड़कन बेताब बनी है,
आज वफा की चाहत है।
बिना तुम्हारे नहीं दिखती,
दूर तलक अब राहत है॥
अपने दामन की खुशबू से,
सुरभित कर दो मन-आँगन।
झंकृत हो जाए साँसों से,
फिर मेरा सूना जीवन।।
सपनों की मलिका तुम रहना,
हरदम मेरे खयालों में।
कभी नहीं कम होने देना,
मय तुम मेरे प्यालों में॥
शीतल स्निग्ध चाँदनी में तन,
आकुल है आलिंगन को।
लिख कर कोई नई कहानी,
प्रेम अगन गरमाना है॥
प्रिय की प्रीत निभाना है,
गीत मिलन के गाना है…॥

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